गठिया रोगी के लिए हो सकता है नुकसान दायक
नई दिल्ली । शहद में बहुत अधिक मात्रा में फ्रूक्टोज पाया जाता है। यह नेचुरल स्वीटनर का काम करता है। इसलिए शहद जब पेट में जाता है तो यह टूटकर प्यूरिन का निर्माण ज्यादा करने लगता है। यूरिक एसिड बढ़ाने के लिए प्यूरिन को दुश्मन माना जाता है।
अन्य तरह की शुगर ठीक हो सकती है लेकिन जिसमें फ्रूक्टोज की मात्रा ज्यादा होती है, उससे प्यूरिन का उत्पादन भी ज्यादा होता है। यही कारण है कि गठिया के मरीजों को शहद न खाने की सलाह दी जाती है।गठिया के मरीजों को ऐसी चीजों का सेवन करना चाहिए जो शरीर में जाने के बाद कम से कम प्यूरिन का निर्माण करें ताकि इससे यूरिक एसिड न बढ़ें। लो फैट वाला छाछ गठिया के मरीजों के लिए फायदेमंद है लेकिन सी फूड, केकेड़ा आदि यूरिक एसिड की मात्रा को बढ़ा देते हैं। इसलिए इन चीजों से परहेज करना चाहिए। इसी तरह खट्टे-मीठे फलों यानी साइट्रस फ्रूट गठिया के मरीजों के लिए फायदेमंद है लेकिन रेड मीट में अत्यधिक मात्रा में प्यूरिन पहले से ही होता है, इसलिए रेड मीट का सेवन गठिया के मरीजों को बिल्कुल नहीं करना चाहिए।वहीं एवोकाडो में कई तरह के एंटीऑक्सीडेंट्स और विटामिन ई होता है जो गठिया के मरीजों के लिए लाभदायक है लेकिन व्हाइट ब्रेड गठिया का दुश्मन है। व्हाइट ब्रेड न सिर्फ यूरिक एसिड को बढ़ाता है बल्कि यह ब्लड शुगर को भी बढ़ा देता है। वास्तव में जिस चीज को रिफाइंड कार्बोहाइड्रेट से बनाया जाता है, उससे यूरिक एसिड और ब्लड शुगर भी बढ़ जाता है। इसलिए इन चीजों से परहेज करना चाहिए। मालूम हो कि धरती पर शहद को अमृत माना जाता है। शहद एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर जीवन रक्षक पौष्टिक तत्वों का खजाना है। शहद में एमिनो एसिड, विटामिन, खनिज, आइरन, जिंक और एंटीऑक्सीडेंट का मिश्रण होता है।
शहद कुदरती स्वीटनर है। इसके अलावा शहद में कई तरह के एंटीऑक्सिडेंट और जीवाणुरोधी एजेंट मौजूद होता है। इस प्रकार शहद एंटीसेप्टिक, एंटी इंफ्लामेटरी और एंटीबैक्टीरियल होता है। आमतौर पर हार्ट डिजीज, कफ, पेट की बीमारियां, घाव आदि में शहद का इस्तेमाल फायदेमंद माना जाता है लेकिन गठिया या आर्थराइटिस में शहद का सेवन अच्छा नहीं माना जाता है। इसलिए गठिया या ऑर्थराइटिस के मरीजों को शहद का सेवन न करने की सलाह दी जाती है।