बक्तवांग । जहां अब दुनिया में एकल परिवार का चलन बढ़ रहा है, वहीं मिजोरम के बक्तवांग गांव में बसा दुनिया का सबसे बड़ा संयुक्त परिवार आज भी एकजुट है। इस परिवार में कुल 251 सदस्य हैं, जो एक पांच मंजिला घर के 42 कमरों में रहते हैं। परिवार के मुखिया जियोना चाना का निधन 13 जून 2021 को हुआ था, लेकिन उनकी मृत्यु के बाद भी परिवार आज भी एकजुट है। अब इसकी कमान उनकी दो सबसे बड़ी पत्नियों लालरमचुआना (76) और परलियाना (74) के पास हैं।
परिवार में सेना जैसा अनुशासन आज भी कायम है। दिन की शुरुआत सुबह 3 बजे अलार्म के साथ होती है। सभी सदस्य सामूहिक प्रार्थना कर व्यायाम करते हैं और फिर नाश्ते के बाद दिन के कार्यों में लग जाते हैं। लंच सभी सदस्य 9:30 बजे साथ करते हैं और शाम 5:30 बजे डिनर करते है। रात में समय पर सोना अनिवार्य है। दिन में कोई नहीं सोता। सभी सदस्य धीमी आवाज़ में बात करते हैं और मुस्कुराकर जवाब देना इस परिवार की परंपरा है, जिसे खुद जियोना चाना ने शुरू किया था।
जियोना की 39 पत्नियों से 75 बच्चे हुए थे, जिसमें से अब 5 पत्नियां नहीं हैं। परिवार में अब 30 बेटे, 45 बेटियां और 146 पोते-पोतियां हैं। परिवार की आमदनी कई स्रोतों से होती है जैसे कृषि, बिजनेस, फर्नीचर निर्माण, अगरबत्ती और बांस शिल्प, टू व्हीलर वर्कशॉप, और पर्यटन। पांच सदस्य सरकारी शिक्षक हैं, जो निश्चित आय का साधन हैं। कुल मिलाकर परिवार की मासिक कमाई करीब 7 लाख रुपये तक होती है।
खर्च का पूरा हिसाब हर महीने की 3 तारीख को बैठकर सामूहिक रूप से होता है। करीब 1500 वर्ग फीट में बना मेगा किचन और 10 हजार वर्ग फीट का डायनिंग हॉल हर दिन 90 किलो चावल, 30 किलो आलू और सब्जियों की खपत देखता है। खाने-पीने पर करीब 4 लाख रुपये मासिक खर्च होते हैं। परिवार की नातिन टेटे कहती हैं कि वे आधुनिक जरूर हैं, लेकिन उनके संस्कार आज भी पुराने हैं और यही उनकी बुनियाद है।
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