●माइंस प्रबंधन और विस्थापितों के बीच हुए लिखित समझौते का पालन नहीं होने का विरोध कर रहे रैयत
●पचुवाड़ा कोयला खान परिवहन प्रभावित संघ के आह्वान पर दूसरे दिन कोयला लदे वाहनों का रहा चक्का जाम
सुमन सिंह
दुमका । नॉर्थ पचुवाड़ा कोल ब्लॉक से विस्थापित गांवों के रैयतों के विरोध के कारण लगातार दूसरे दिन इस कोल माइंस में कोयला खनन का काम पूरी तरह से ठप रहा।
आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक इस कोल माइंस में उत्पादन और ढुलाई ठप होने से सरकार को प्रतिदिन करीब 3.50 करोड़ से 4 करोड़ रुपये की क्षति हो रही है।दो दिनों तक खनन कार्य ठप रहने से सरकार को अब तक करीब 8 करोड़ रुपये राजस्व का नुकसान हो चुका है।सोमवार को चिलगो फुटबॉल मैदान में जिला प्रशासन, कोल प्रबंधन के अधिकारियों और विस्थापित रैयतों के बीच हुई वार्ता विफल होने के बाद रैयतों ने अनिश्चितत काल के लिए कोल माइंस में खनन कार्य ठप रखने का ऐलान किया।आक्रोशित विस्थापित रैयतों का कहना है कि माइंस स्वीकृति के समय प्रबंधन और विस्थापितों के बीच हुए लिखित समझौता(एमओयू) का पालन नहीं हो रहा है।विस्थापित गांवों में बुनियादी सुविधाएं तक बहाल नहीं है।खनन कार्य ठप कर रहे रैयतों ने कहा कि जब तक कोल कम्पनी समझौते का पालन नहीं करेगी तब तक माइंस में कोयला खनन दोबारा शुरू नहीं होने दिया जाएगा।बता दें कि पश्चिम बंगाल पावर डेवेलपमेंट कॉरपोरेशन (डब्ल्यूबीपीडीसी)
को यह कोल ब्लॉक आवंटित है और डब्ल्यूबीपीडीसी ने कोयला खनन और कोयला ढुलाई के लिए बीजीआर कंपनी को एमडीओ(माइंस डेवलपर ऑपरेटर) नियुक्त कर रखा है।इस कोल कम्पनी पर रैयतों के हितों की अनदेखी कर कोयला खनन और ढुलाई करने का आरोप है।कोल कम्पनी के खिलाफ स्थानीय लोगों और खास कर रैयतों के बीच भारी आक्रोश है।
इधर दुमका जिले के गोपीकांदर- काठीकुंड दुमका मार्ग पर आक्रोशित लोगों ने रविवार से ही कोयला लदे हाइवा के परिचालन को अनिश्चित काल के लिए ठप करा दिया है।पचुवाड़ा कोयला खान परिवहन प्रभावित संघ के आह्वान पर स्थानीय लोगों ने काठीकुंड में लगातार दूसरे दिन धरना दिया।स्थानीय लोगों के विरोध के कारण लगातार दूसरे दिन सोमवार को कोयला लदे सैकड़ो वाहनों का चक्का जाम रहा।विरोध कर रहे लोगों में मुख्य सड़क से सटे प्रभावित गांव के ग्राम प्रधान और आम ग्रामीण शामिल है।काठीकुंड में धरनास्थल पर दुमका जिला परिषद की अध्यक्ष जॉयस बेसरा और सांसद प्रतिनिधि जॉन सोरेन भी स्थानीय जनता के समर्थन में धरना पर बैठे। लोगों के विरोध के कारण कोयला लोड सैकड़ों हाइवा की लंबी कतार लग गई।अमड़ापाड़ा स्थित नार्थ पचुवाड़ा कोल ब्लॉक से करीब 500 हाइवा से कोयले की ढुलाई कर दुमका रेलवे साइडिंग लाया जाता है।दुमका रेलवे साइडिंग से रैक के द्वारा कोयला बंगाल के थर्मल पावर स्टेशनों को आपूर्ति की जाती है।इधर विस्थापन विरोधी आंदोलनकारी मुन्नी हांसदा ने कहा कि आदिवासी रैयतों जमीन को अधिग्रहण किए बिना फर्जी खनन पट्टा के आधार पर अनैतिक रूप से खनन कार्य किया जा रहा है। आमडापाड़ा, गोपीकांदर,काठीकुंड और दुमका रेलवे साइडिंग तक मुख्य सड़क पर प्रतिदिन करीब 500 से अधिक हाइवा ट्रक में करीब 60 हजार टन कोयला प्रतिदिन कोयले की ढुलाई की जा रही है।कोयला ढुलाई से एक बड़ी आबादी प्रभावित हो रही है।हादसों में लोग जान गवां रहे हैं प्रदूषण से लोगों की सेहत खराब हो रही है।
–
पचुवाड़ा कोयला खान परिवहन प्रभावित संघ की मुख्य मांगें–
● आमडापाड़ा स्थित कोल माइंस से लेकर दुमका रेलवे साइडिंग तक अलग से कोयला परिवहन के लिए अलग कोल कॉरिडोर अविलंब बनाया जाए।
●अलग कोल कॉरिडोर बनने तक कोयला लड़े वाहनों का परिचालन सुबह 6 बजे शाम 7 बजे तक बंद रखा जाए।
●वर्तमान स्टेट हाई वे के अमड़ापाड़ा-काठीकुंड-दुमका भाग की सड़क का चौड़ीकरण किया जाए।
●कोयला परिवहन के दौरान होने वाले किसी भी दुर्घटना में मृतक के परिवार को 20 हजार मासिक पेंशन तथा 25 लाख रुपये एक मुश्त सहायता राशि दी जाए। घायलों को 5 लाख सहायता राशि और वास्तविक चिकित्सा खर्च दिया जाए।
●सड़क किनारे बसे गांव में ध्वनि तथा धूल प्रदूषण से रोकथाम के लिए मासिक 5 हजार रुपए प्रति परिवार को देना सुनिश्चित किया जाय।
●कोयला खान में आदिवासी जमीन का मुआवजा राशि 4.64 करोड़ प्रति एकड़ राज्य सरकार राज्यादेश द्वारा निर्धारित दर के आधार से अविलंब भुगतान किया जाए।
●प्रत्येक रैयत के परिवार के 18 वर्ष से अधिक आयु के लोगों को डब्लूबीपीडीसीएल में या सरकारी नौकरी दी जाए
●भारत सरकार के रेल मंत्रालय से कोयला परिवहन के लिए रैक उपलब्ध नहीं करवाया जाए,जब तक कि सभी मांगो को विधिवत तरीके से पूरा न कर दिया जाए।
●कोयला मंत्रालय भारत सरकार,कोल कंट्रोलर से माइंस ओपनिंग स्वीकृति निलंबित रखा जाए।
●मांगे पूरी होने तक वन,पर्यावरण एवं वायुमंडल परिवर्तन मंत्रालय से पर्यावरण तथा वन भूमि की अनुमति को निलंबित रखा जाए।