नई दिल्ली । संसद के मॉनसून सत्र के 12वें दिन मंगलवार को भी राज्यसभा की कार्यवाही बाधित रही। उपसभापति हरिवंश ने व्यवधान को लेकर विपक्ष के रवैए की निंदा की। इस पर विपक्ष के नेता और नेता सदन के बीच बहस हो गयी। इसके बाद जमकर हंगामा हुआ जिसके कारण सदन की कार्यवाही दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी गयी।
उपसभापति ने सदन में लगातार गतिरोध को चिंताजनक बताया और कहा कि 28 जुलाई को वाईएसआर कांग्रेस के सदस्य के बोलते समय कुछ सदस्यों ने अपनी सीट से उठकर माइक पर जाकर व्यवधान उत्पन्न किया। क्या यह सदस्य के विशेषाधिकार का हनन नहीं था। 31 जुलाई को जब एक मंत्री स्वतः बयान दे रहे हैं, उनके बयान में भी बाधा डाली गई। कई और सदस्यों के बोलते समय भी माइक के पास जाकर नारेबाजी की गई। वेल में जाकर नारे लगाना अनुचित है। यह सदन की गरिमा गिराने वाली है। इस सदन में महत्वपूर्ण बिल की कॉपी छिनकर फाड़ी गई, उन्हें उछाला गया। इस सदन में सुरक्षाकर्मियों का उपस्थित रहना नई बात नहीं है। ये सुरक्षाकर्मी सदन की गरिमा का ध्यान रखकर काम करते हैं। जहां तक सदस्यों के लोकतांत्रिक अधिकारों की बात है, वह उनका अधिकार है लेकिन सदन की गरिमा के अनुरूप ही। विपक्ष के नेता का लंबा संसदीय अनुभव है। वह विचार करें कि क्या सदन न चलने देना उचित है। 230वें सेशन में एक सदस्य जब वेल में घुसकर सदन की कार्यवाही बाधित कर रहे थे, तब उपसभापति ने इसको लेकर क्या कहा? उपसभापति ने उसका भी जिक्र किया और कहा कि प्रश्नकाल और शून्य काल महत्वपूर्ण समय होता है। हम हंगामे के कारण कार्यवाही के 41 घंटे से अधिक समय गंवा चुके हैं। पक्ष-विपक्ष, सबकी जिम्मेदारी है सदन चलने देना। उन्होंने पंडित जवाहरलाल नेहरू को भी कोट करते हुए अपनी बात पूरी की।
इसके बाद नेता सदन जेपी नड्डा ने कहा कि आज का दिन ऐतिहासिक दिन है। क्योंकि संसद में आपने (उपसभापति) जो दो ऑब्जर्वेशन दिए हैं, वे सदा-सदा के लिए अंकित रहेंगे और रेफरेंस पॉइंट बनेंगे। आगे भी राज्यसभा चलाने के लिए आपने आज रूलिंग के माध्यम से दूध का दूध और पानी का पानी किया। आपने यह स्पष्ट किया कि प्रॉसीडिंग को डिस्टर्ब करना अलोकतांत्रिक और नियमों के खिलाफ है। आपने उन घटनाओं को उद्धृत किया, जो बाधित करने वाले थे। नड्डा ने कहा, “मेरे बगल में खड़े होकर कोई नारा लगाएगा, ये लोकतांत्रिक नहीं है। 40 साल से ज्यादा विपक्ष में रहा हूं, मेरे से ट्यूशन ले लो। अभी नए-नए हो, 10 साल ही हुआ।” उन्होंने विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे के दिवंगत अरुण जेटली के जिक्र पर कहा कि हंगामा करना लोकतांत्रिक अधिकार है, फिर कहता हूं, इसके कई तरीके हैं। लाठी भांजना लोकतांत्रिक नहीं है।
विपक्ष के नेता खरगे ने कहा कि बहुत से रेफरेंस आपने पढ़ा दिया, जो हमने नहीं पढ़ा था। उन्होंने अपना पत्र पढ़कर सुनाया और कहा कि जब अरुण जेटली उच्च सदन में विपक्ष के नेता थे, उन्होंने कहा कि प्रदर्शन करना और डिस्टर्ब करना लोकतांत्रिक अधिकार है। यह हमारा अधिकार है और हम करते रहेंगे। हमने आपको लेटर लिखा तो इतना क्या हो गया। इस पर हरिवंश ने आपत्ति जताते हुए कहा कि संसद के बाहर ये सारी बातें कहना उचित नहीं है। विट्ठलभाई पटेल से लेकर तमाम लोगों को कोट कर रहे हैं, क्या हमको समझ नहीं आता। ये सब सदन की कार्यवाही से हटाया जाना चाहिए।