नई दिल्ली । भारतीय मुद्रा प्रणाली में एक रुपये के सिक्के की लागत उसकी कीमत से काफी अधिक होती है। रिजर्व बैंक के अनुसार हर एक रुपये के सिक्के बनाने में सरकार को करीब 1.11 रुपये का नुकसान होता है। यह मामला सिर्फ एक रुपये तक ही सीमित नहीं है। दूसरे सिक्कों की लागत भी उनकी कीमत से अधिक होती है। भारत सरकार मुख्य रूप से मुंबई और हैदराबाद में सिक्कों का निर्माण करती हैं। एक रुपये का सिक्का स्टेनलेस स्टील से बनाया जाता है, जिसका वजन करीब 3.76 ग्राम, व्यास 21.93 मिमी, और मोटाई 1.45 मिमी होती है। यह सिक्का वर्षों तक उपयोग में रह सकता है, जिससे इसकी टिकाऊ प्रकृति साफ झलकती है। सरकार को हर सिक्के पर घाटा हो रहा है फिर भी इनका निर्माण जारी रखती है क्योंकि सिक्के नोटों की तुलना में काफी ज्यादा समय तक चलते हैं। जहां नोटों को कुछ सालों में बदलना पड़ता है, वहीं सिक्के दशकों तक प्रचलन में रहते हैं। यानी एक बार लागत जरूर आती है, लेकिन दीर्घकालिक रूप से यह ज्यादा किफायती और व्यवहारिक साबित होता है।
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