नई दिल्ली/मुंबई/भोपाल । देश में कोरोना वायरस के एक्टिव केसों की संख्या 4026 पहुंच गई है। इनमें से 50 फीसदी मामले केरल और महाराष्ट्र में हैं। केरल में सबसे ज्यादा 1416 एक्टिव केस हैं। वहीं, महाराष्ट्र से 494 मामले सामने आए हैं। अब तक देशभर में 2700 मरीज ठीक भी हुए हैं। कोरोना से अब तक 38 मौतें हो चुकी हैं। इनमें से 31 की मौत बीते 4 दिन में हुई हैं। लेकिन विडंबना यह है कि देश के अधिकांश अस्पतालों के कोरोना के मरीजों को भर्ती करने और इलाज करने की व्यवस्था ही नहीं हो पाई है। यही नहीं एक तरफ कोरोना से लगातार मौतें हो रही हैं, दूसरी तरफ सरकार ने कोरोना को लेकर अभी तक कोई गाइडलाइन जारी नहीं की है। थाईलैंड-अमेरिका की ही तरह भारत में भी ओमिक्रॉन वैरिएंट एनबी.1.8.1 सक्रिय है, यहां संक्रमण की रफ्तार पिछले 10 दिनों में 10 गुना से अधिक हो गई है। 22 मई को देश में कुल एक्टिव केस 257 थे जो 13 दिन में ही बढकऱ 3 जून को 4026 हो गए हैं। केरल में सबसे ज्यादा 1416 मामले हैं, महाराष्ट्र में 494 और गुजरात में 397 लोग कोरोना का शिकार हुए। हालांकि अच्छी बात ये है कि यहां कोरोना से रिकवरी रेट अभी अच्छी है। 1 जनवरी से अब तक करीब 2700 लोग संक्रमित होकर ठीक हो चुके हैं, वहीं पिछले 24 घंटे में ही 512 लोग संक्रमण से ठीक हुए हैं। महाराष्ट्र में सोमवार को एक 70 साल और एक 73 साल की महिला की जान चली गई। राज्य में सबसे ज्यादा 10 मौतें हुई हैं। 24 घंटे में केरल, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल और गुजरात में भी 1-1 मौत हुई है। भारत में मिले कोविड-19 के 4 नए वैरिएंट भारत के कई राज्यों में कोविड-19 के मामलों में बढ़ोतरी के बीच देश में चार नए वैरिएंट मिले हैं। आईसीएमआर के डायरेक्टर डॉ. राजीव बहल ने बताया कि दक्षिण और पश्चिम भारत से जिन वैरिएंट की सीक्वेंसिंग की गई है, वे एलएफ.7, एक्सएफजी, जेएन.1 और एनबी.1.8.1 सीरीज के हैं। बाकी जगहों से नमूने लेकर सीक्वेंसिंग की जा रही है, ताकि नए वैरिएंट की जांच की जा सके। मामले बहुत गंभीर नहीं हैं और लोगों को चिंता नहीं करनी चाहिए, बस सतर्क रहना चाहिए। वल्र्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन ने भी इन्हें चिंताजनक नहीं माना है। हालांकि निगरानी में रखे गए वैरिएंट के रूप में कैटेगराइज किया है। चीन सहित एशिया के दूसरे देशों में कोविड के बढ़ते मामलों में यही वैरिएंट दिख रहा है। नए वैरिएंट पर वैक्सीन का असर नहीं जानकारों का कहना है कि जिन लोगों ने वैक्सीनेशन करवाया था, उन्हें भी सावधानी बरतने की जरूरत है। इसकी वजह यह है कि वैक्सीनेशन नए वैरिएंट का असर होने से नहीं रोक सकता। हालांकि वैक्सीनेशन की इम्यूनिटी अभी भी पूरी तरह से कमजोर नहीं हुई है। यह आपके शरीर को नए वैरिएंट से लडऩे में मदद जरूर कर सकती है। यही नहीं देश में जो पुराने वैक्सीन निर्मित किए गए थे, वे भी स्टॉक में नहीं हैं। हैरानी की बात तो यह है कि सरकार ने इसको लेकर अभी कोई भी दिशा-निर्देश जारी नहीं किया है। ऐसे में अगर मामले बढ़े तो विकट स्थिति निर्मित हो सकती है। कोविड की अगली महामारी अभी खत्म नहीं हुई उधर, दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि कोविड की अगली महामारी अभी खत्म नहीं हुई है, बल्कि यह अभी भी एक्टिव है। कोर्ट ने केंद्र सरकार से सैंपल कलेक्शन, सैंटर और ट्रांसपोर्ट पॉलिसी को लेकर की गई तैयारियों की जानकारी मांगी है। कोर्ट ने कहा कि 30 मई 2023 को हुई बैठक के बाद जो भी निर्णय लिए गए, उन्हें लागू करने में अगर कोई खालीपन है तो यह गंभीर मामला है। जस्टिस गिरीश कथपालिया ने कहा कि यह मानकर चलना चाहिए कि जरूरी कदम और प्रोटोकॉल तय किए जा चुके होंगे, लेकिन संबंधित अधिकारियों को इसे रिकॉर्ड पर लाना चाहिए। सरकारी अस्पतालों में किट नहीं अस्पतालों में सर्दी-खांसी के मरीजों की कोरोना जांच में लापरवाही हो रही है। कई अस्पतालों में अभी तक आरटी-पीसीआर जांच शुरू नहीं हुई है जिससे संक्रमण का खतरा बढ़ रहा है। दरअसल, अस्पतालों को किट का इंतजार है। जांच केंद्रों पर भीड़ बढऩे और सुरक्षा उपायों की कमी से स्थिति और गंभीर हो सकती है। स्वास्थ्य विभाग केवल लोगों से सतर्कता बरतने और लक्षण दिखने पर इलाज कराने की अपील कर रहा है। स्थिति यह है कि हल्के लक्षणों को देखकर कोविड टेस्ट नहीं किए जा रहे, जिससे संभावित संक्रमण फैलने की आशंका और बढ़ जाती है। भोपाल एम्स के विशेषज्ञों का कहना है कि यह वैरिएंट तेजी से जरूर फैलता है, लेकिन यह घातक नहीं है। फिर भी यह सतर्कता की मांग करता है क्योंकि यह दुनिया के कई हिस्सों में सबसे आम वैरिएंट बना हुआ है। विशेषज्ञों का मानना है कि संक्रमण के स्रोत और प्रभाव का पता लगाने के लिए संदिग्ध मरीजों की ज्यादा से ज्यादा जांच और उनके सैंपल की जीनोम सीक्वेंसिंग अत्यंत जरूरी है। लेकिन राजधानी भोपाल के जेपी अस्पताल और हमीदिया अस्पताल अभी भी स्वास्थ्य विभाग के निर्देशों का इंतजार कर रहे हैं। गांधी मेडिकल कॉलेज स्थित स्टेट वायरोलॉजी लैब ने शासन से आरटी-पीसीआर किट की मांग की है, जिससे स्पष्ट होता है कि जांच की रफ्तार काफी धीमी है। यह चिंता का विषय तब बन जाता है जब राज्य सरकार को पहले ही विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा 5 करोड़ रुपए की लागत वाली जीनोम सीक्वेंसिंग मशीन उपलब्ध कराई जा चुकी है, लेकिन उसका अब तक उपयोग नहीं हो पाया है। अमेरिका में मौत के मामलों ने डराया अमेरिका में संक्रमण की दर एशियाई देशों की तुलना में तो कम है पर कुछ स्थानों से मौत के मामलों में तेजी से वृद्धि की खबरों ने लोगों को डरा दिया है। स्थानीय मीडिया रिपोट्र्स के मुताबिक यहां न सिर्फ संक्रमण के मामले बढ़ रहे हैं बल्कि हर सप्ताह 300 से ज्यादा लोगों की मौतें भी हो रही हैं। खास बात ये है कि अमेरिका में भी वही वायरस एक्टिव है जो भारत में संक्रमण बढ़ा रहा है। वैक्सीनोलॉजिस्ट और एट्रिया रिसर्च इंस्टीट्यूट के निदेशक डॉ. ग्रेगरी पोलैंड ने कोविड से संबंधित मौतों की संख्या में वृद्धि के प्रमुख कारण के रूप में वैक्सीनेशन न कराने, या फिर अपडेटेड वैक्सीन न लेने को प्रमुख माना है। विनोद उपाध्याय / 03 जून, 2025
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