नई दिल्ली। डिप्रेशर का समय पर उपचार न किया जाए तो इसके गंभीर परिणाम सामने आ सकते हैं। ऐसे में जरूरी है कि जैसे ही किसी व्यक्ति को एहसास हो कि वह तनाव की गिरफ्त में आ रहा है, उसे तुरंत चिकित्सक की सलाह लेनी चाहिए।
तनाव एक गंभीर मानसिक बीमारी है, जो व्यक्ति के जीवन को नीरस, अधूरा और दिशाहीन बना देती है। कई लोगों की जिंदगी तनाव के चलते अंधकारमय हो चुकी है। हालांकि, अक्सर लोगों को यह समझ ही नहीं आता कि वे डिप्रेशन का शिकार हो चुके हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि तनाव के शुरुआती लक्षण सामान्य होते हैं, जिस वजह से लोग इसे नजरअंदाज कर देते हैं। उदाहरण के लिए, किसी काम में मन न लगना, जीवन को दिशाहीन और उद्देश्यहीन महसूस करना, यह सोचना कि सब खत्म हो चुका है, और मूड में अचानक बदलाव आना, ये लक्षण तनाव की शुरुआत हो सकते हैं।
इसके अलावा, व्यक्ति को जो चीजें पहले अच्छी लगती थीं, वे अब उसे आकर्षित नहीं करतीं। थकान, ध्यान में कमी, नकारात्मक सोच, आत्मविश्वास की कमी, और खुद को असहाय महसूस करना भी इसके अन्य लक्षण हैं। विशेषज्ञों ने बताया कि तनावग्रस्त व्यक्ति कभी-कभी खुद को इतना अयोग्य मानने लगता है कि उसे लगता है कि वह किसी भी काम के योग्य नहीं है। यदि इन लक्षणों की अवधि दो सप्ताह से अधिक हो जाती है, तो ऐसे व्यक्ति को तुरंत डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए। तनाव से निजात पाने के लिए सबसे पहले यह समझना जरूरी है कि यह एक मानसिक बीमारी है और इसका इलाज संभव है।
विशेषज्ञों का मानना है कि मानसिक स्वास्थ्य में सुधार के लिए सही समय पर परामर्श और इलाज जरूरी है। किसी भी तरह की देरी व्यक्ति के लिए बड़ी समस्याएं खड़ी कर सकती है। मनोचिकित्सक से परामर्श लेना और उनके द्वारा दिए गए सुझावों को जीवन में लागू करना फायदेमंद साबित हो सकता है। कुछ मामलों में दवाओं की भी जरूरत पड़ सकती है, जो तनाव से राहत दिलाने में सहायक होती हैं। दुनियाभर में करीब 28 करोड़ लोग डिप्रेशन से पीड़ित हैं।