पहाड़िया समुदाय से आने वाली बबीता सिंह ने हासिल की 337वीं रैंक, सेल्फ स्टडी के माध्यम से जेपीएससी में लहराया सफलता का परचम
मिठाई खरीदने के पैसे नहीं मां ने चीनी खिलाकर बबीता का मुंह कराया मीठा
दुमका। झारखंड लोक सेवा आयोग द्वारा झारखंड संयुक्त असैनिक सेवा प्रतियोगिता परीक्षा का परिणाम शुक्रवार को घोषित कर दिया गया है। इस परीक्षा में दुमका जिला के सदर प्रखंड के आसनसोल की रहने वाली सीमा सिंह ने सफलता प्राप्त की है। आदिम जनजाति पहाड़िया समुदाय से आने वाली बबीता सिंह को 337वीं रैंक हासिल हुआ है। उसका चयन झारखंड प्रशासनिक सेवा पद के लिए हुआ है। जेपीसी का परिणाम आने पर घर में मिठाई खरीदने के भी नहीं थे पैसे मां ने चीनी खिलाकर बबीता का मुंह मीठा कराया और जताई खुशी। बबीता के पिता एक निजी विद्यालय में हेल्पर के रूप में कार्यरत हैं जबकि मां गृहणी हैं। बबीता की पढ़ाई दुमका में ही हुआ है। यूट्यूब के सहारे सेल्फ स्टडी के द्वारा पढ़ाई पुरी की है। बबीता ने सफलता का श्रेय सेल्फ स्टडी को दिया है।
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शिक्षक दंपति के पुत्र जीवेश बने डिप्टी कलेक्टर, पहले ही प्रयास में सफल
गांव में है सिर्फ प्राइमरी सरकारी स्कूल, बोकारो में रहकर की पढ़ाई
सरैयाहाट (राकेश कुमार चंदन) । दुमका जिले के सरैयाहाट प्रखंड के जोकेला गांव के जीवेश कुमार ने झारखंड लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित सिविल सेवा परीक्षा में पहले ही प्रयास में सफलता हासिल की है। उन्हें इस परीक्षा में 184 वाँ स्थान प्राप्त हुआ है। डिप्टी कलेक्टर बने 24 वर्षीय जीवेश सरैयाहाट प्रखंड के पहले छात्र है जिन्हें जेपीएससी में सफलता मिली है। जीवेश के पिता रामानंद यादव और कल्पना देवी शिक्षक के रूप में कार्यरत हैं। बेटे की सफलता पर पूरे परिवार में खुशी है।
जीवेश जिस जोकेला गांव से आते हैं। वहां एक सरकारी स्कूल है, जहां सिर्फ आठवीं कक्षा तक की पढ़ाई होती है। बिहार की सीमा पर स्थित जोकेला गांव काफी पिछड़ा है। गांव में शिक्षा का साधन नहीं होने की वजह से जीवेश की मैट्रिक व इंटर की पढ़ाई सीबीएसई माध्यम में बोकारो से हुई। जबकि भूगोल से उन्होंने दिल्ली में स्नातक किया। गांव से दूर रहकर उन्होंने कड़ी मेहनत परिजनों के सहयोग और गुरुओं के मार्गदर्शन से सफलता हासिल करने में सफल रहे।
यूट्यूब से मिली जेपीएससी में सफलता की जानकारी
जीवेश ने बताया कि स्नातक की पढ़ाई के दौरान ही उन्होंने तैयारी शुरू कर दी थी। लॉक डाउन के दौरान उन्होंने ऑनलाइन क्लासेस शुरू किया और यूट्यूब पर जेपीएससी परीक्षा से संबंधित जानकारी प्राप्त करने लगे। उन्होंने बताया कि नियमित अभ्यास और मॉक टेस्ट का उनकी सफलता में महत्वपूर्ण योगदान रहा। उन्होंने बताया कि छात्रों को सफल होने के लिए समय का प्रबंधन और नियमित अभ्यास बहुत जरूरी हैं।
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जेपीएससी में 87वां रैंक लाकर किसान की बेटी निशा बनीं डिप्टी कलेक्टर, देवघर का बढ़ाया मान
देवघर। देवीपुर प्रखंड अंतर्गत गिधैया गांव की बेटी निशा कुमारी ने झारखंड लोक सेवा आयोग (जेपीएससी) परीक्षा 2025 में 87वीं रैंक हासिल कर न केवल अपने गांव, बल्कि पूरे देवघर जिले को गौरवान्वित किया है। शुक्रवार को घोषित परीक्षा परिणाम में 25 वर्षीय निशा ने पहले ही प्रयास में सफलता प्राप्त कर डिप्टी कलेक्टर पद पर चयनित होकर एक मिसाल कायम की है।
निशा कुमारी किसान राजेंद्र यादव व गृहणी झरना देवी की पुत्री हैं। उनकी प्रारंभिक शिक्षा स्थानीय विद्यालय में हुई, स्नातक की पढ़ाई देवघर के बाजला कॉलेज से पूर्ण की और उसके बाद स्नातकोत्तर की डिग्री जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, दिल्ली से हासिल की। निशा की इस ऐतिहासिक उपलब्धि पर गिधैया गांव सहित पूरे क्षेत्र में हर्ष का माहौल है। ग्रामीणों, रिश्तेदारों और शुभचिंतकों ने उनके घर पहुँचकर मिठाइयाँ बाँटी और ढोल-नगाड़ों के साथ जश्न मनाया। निशा ने अपनी सफलता का श्रेय माता-पिता, शिक्षकों और अपने संघर्ष को देते हुए कहा कि यदि लक्ष्य के प्रति ईमानदारी और लगन हो, तो कोई भी मंज़िल असंभव नहीं होती। ग्रामीणों ने निशा को क्षेत्र की बेटियों के लिए प्रेरणा स्रोत बताते हुए कहा कि उनकी यह सफलता समाज की सोच बदलने वाली है। एक किसान की बेटी का डिप्टी कलेक्टर बनना यह दर्शाता है कि संसाधनों की कमी भी आत्मविश्वास और मेहनत के आगे बाधा नहीं बनती।
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मीनाक्षी बनीं जेपीएससी वित्त सेवा की सेकेंड टॉपर, गांव से लेकर लोहरदगा तक खुशी की लहर
देवघर। सारठ प्रखंड अंतर्गत बभनगामा गांव की मूल निवासी तथा वर्तमान में लोहरदगा में पदस्थापित अनुमंडल पदाधिकारी ठाकुर गौरी शंकर शर्मा की ज्येष्ठ पुत्री मीनाक्षी ने झारखंड लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित प्रतियोगिता परीक्षा में वित्त सेवा में वरीयता सूची में द्वितीय स्थान प्राप्त कर न केवल अपने परिवार, बल्कि क्षेत्र और जिले का नाम भी रोशन किया है। मीनाक्षी ने वित्त सेवा की सेकेंड टॉपर बनने के साथ ही खोरठा भाषा को वैकल्पिक विषय के रूप में चुनकर एक मिसाल कायम की है। उन्होंने अपनी सफलता का श्रेय माता अनीता शर्मा, पिता ठाकुर गौरीशंकर शर्मा सहित पूरे परिवार को देते हुए कहा कि यह उनके पिता का सपना था कि वह प्रशासनिक सेवा में जाएं, और उसी सपने को साकार करने के लिए उन्होंने सतत परिश्रम, अनुशासन, धैर्य और असफलताओं से सीखते हुए यह मुकाम हासिल किया। खोरठा विषय चुनने के पीछे की सोच साझा करते हुए मीनाक्षी ने कहा कि यह भाषा झारखंड की अस्मिता से जुड़ी है और झारखंड की सेवा के लिए यह विषय न केवल उपयोगी बल्कि गर्व का कारण भी है। उन्होंने बताया कि उनके चाचा, डॉ विजय शंकर, जो वर्तमान में आर एल सर्राफ उच्च विद्यालय में सहायक शिक्षक के रूप में कार्यरत हैं, ने खोरठा विषय को समझने में विशेष मार्गदर्शन दिया तथा देवघर और झारखंड से जुड़ी अनेक सांस्कृतिक और सामाजिक जानकारियाँ उपलब्ध कराईं, जिससे उन्हें विषय की गहराई को समझने में मदद मिली। मीनाक्षी ने भावी अभ्यर्थियों को संदेश देते हुए कहा कि धैर्य, आत्मविश्वास और निरंतर प्रयास ही सफलता की कुंजी हैं। उन्होंने यह भी कहा कि हर असफलता कुछ सिखाती है, और वही सीख आगे की सफलता की नींव बनती है। उनकी इस ऐतिहासिक उपलब्धि पर परिवार, गांव और लोहरदगा में हर्ष का माहौल है, लोग मिठाई बांटकर खुशी का इजहार कर रहे हैं। मीनाक्षी आज क्षेत्र की बेटियों के लिए प्रेरणा बन गई हैं।
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देवघर के लिनस रतन ने जेपीएससी में पाई सफलता, बना जिले का गौरव
50वां रैंक लाकर झारखंड पुलिस सेवा में चयनित हुए रिटायर्ड आईएएस के सुपुत्र
देवघर। जिला के बरमसिया मोहल्ला निवासी सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी ए के रतन के पुत्र लिनस रतन ने झारखंड लोक सेवा आयोग (जेपीएससी) की मुख्य परीक्षा में सफलता प्राप्त कर जिले का नाम गौरवान्वित किया है। लिनस को इस परीक्षा में 50वां रैंक प्राप्त हुआ है और उन्हें झारखंड पुलिस सेवा के लिए चयनित किया गया है। लिनस रतन की प्रारंभिक शिक्षा देवघर के रामकृष्ण मिशन विद्यापीठ से हुई, जहाँ से उन्होंने मैट्रिक और इंटरमीडिएट की पढ़ाई पूरी की। इसके बाद उन्होंने स्नातक और स्नातकोत्तर की शिक्षा प्रतिष्ठित दिल्ली स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स से प्राप्त की। उन्होंने बताया कि प्रशासनिक सेवा में आने की प्रेरणा उन्हें अपने पिता से मिली, जिन्होंने एक कुशल और समर्पित अधिकारी के रूप में सेवा दी है। लिनस की इस उपलब्धि से पूरे जिले में हर्ष और गौरव का माहौल है। उनकी सफलता नवोदित प्रतियोगी छात्रों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन गई है।
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बरियारबांधी की नेहा रानी ने पहले ही प्रयास में पास की जेपीएससी परीक्षा, 228वां रैंक प्राप्त कर लहराया परचम
देवघर। बरियारबांधी मोहल्ले की नेहा रानी ने झारखंड लोक सेवा आयोग की मुख्य परीक्षा में प्रथम प्रयास में ही सफलता प्राप्त कर अपने परिवार, क्षेत्र और शिक्षा संस्थानों को गौरवान्वित किया है। नेहा को इस परीक्षा में 228वां रैंक प्राप्त हुआ है। नेहा रानी के पिता राजेश कुमार दास सरकारी शिक्षक हैं जबकि माता नीतू आनंद गृहिणी हैं। नेहा की इस सफलता से उनके परिवार के साथ-साथ पूरे गांव में हर्ष का वातावरण है। ग्रामीणों और शुभचिंतकों ने नेहा को बधाइयों से नवाजा। नेहा की प्रारंभिक शिक्षा देवघर स्थित डीएवी पब्लिक स्कूल से हुई। इसके बाद उन्होंने बीएचयू से स्नातक और स्नातकोत्तर की पढ़ाई पूरी की। वर्तमान में वे रांची विश्वविद्यालय से पीएचडी कर रही हैं। इसके साथ ही वे डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय, रांची में आवश्यकता आधारित असिस्टेंट प्रोफेसर के रूप में कार्यरत थीं। नेहा की सफलता यह सिद्ध करती है कि अगर लगन और मेहनत सच्ची हो, तो कोई भी लक्ष्य दूर नहीं। उनके इस उपलब्धि से युवा वर्ग को प्रेरणा मिलेगी।
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जामताड़ा : मुखिया का बेटा JPSC की परीक्षा में सफल
नाला (जामताड़ा)– कहते हैं मन में हो जज्बा और दृढ़ संकल्प तो सफलता कदम चूमती है। नाला प्रखंड क्षेत्र के महुलबना पंचायत अंतर्गत माधव निवासी जगदीप कुमार हेंब्रम ने ऐसा ही कुछ कर दिखाया है। उन्होंने झारखंड पब्लिक सर्विस कमिशन 2023 की परीक्षा में सफलता हासिल की है। उन्होंने 66 वां रैंक लाकर न केवल अपने परिवार बल्कि पूरे झारखंड का नाम रोशन किया है। जगदीप हेंब्रम महुलबना पंचायत के माधवा गांव का निवासी है|उसकी माता शिलावंती सोरेन महुलबना पंचायत की मुखिया हैं। जगदीप हेंब्रम के पिता सुरेंद्र हेंब्रम वर्तमान में प्रखंड शिक्षा प्रसार पदाधिकारी के पद पर काठीकुंड तथा शिकारीपाडा़ में पदस्थापित है। एक साक्षात्कार में बताया कि जगदीप प्रारंभ से ही अपने अध्ययन अध्यापन में बड़े ही तन्मयता पूर्वक पढ़ाई करते थे| प्रारंभ से ही उनकी दिली इच्छा थी कि कोई प्रशासनिक सेवा में जाकर अपने राज्य तथा देश की सेवा करें | जगदीप कुमार हेंब्रम की प्रारंभिक शिक्षा जामताड़ा स्थित मिशन स्कूल बेवा में हुई है ,वे वर्ग 6 तक मिशन स्कूल बेवा में पढ़ाई की तत्पश्चात आगे की पढ़ाई रांची (जेबीसी) संत जेवियर स्कूल में की| वहीं उन्होंने ग्रॉसनर कॉलेज रांची से ग्रेजुएशन की उपाधि प्राप्त की तत्पश्चात उन्होंने रांची यूनिवर्सिटी में लेक्चरर के पद पर भी कार्यरत रहे| इधर माता शिलावंती सोरेन भी मुखिया पद पर आसीन होकर पंचायत विकास कार्यों में गरीब गुरबों की सेवा और क्षेत्र के आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए मुखिया का पद भी बखुबी निर्वहन कर रही है| कहते हैं कुछ करने का जज्बा और दृढ़ संकल्प के साथ अगर कोई काम करता है तो सफलता अवश्य मिलती है| जगदीप हेंब्रम ने अपनी शिक्षा और मेहनत के बल पर बीडीओ (ब्लॉक डेवलपमेंट ऑफिसर) का पद हासिल किया है। यह एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है| – इस सुदूर ग्रामीण क्षेत्र के युवक युवतियों के लिए जगदीप हेंब्रम की सफलता की कहानी प्रेरणा का स्रोत है| जगदीप के इस उपलब्धि से परिवार के अलावे क्षेत्र के लोगों में भी हर्ष है| इस उपलब्धि को लेकर पूर्व 20 सूत्री अध्यक्ष संतोष कुमार भोक्ता, राजीव सिंह ,प्रदीप भोक्ता, विश्वनाथ सिंह ,भवेश सिंह, वरुण मंडल आदि सबों ने जगदीप को बधाई दी है|