रायपुर । छत्तीसगढ़ में नक्सलियों के खिलाफ सुरक्षा बलों का अभियान जारी है इसका असर अब साफ दिखाई देने लगा है जो इलाकों नक्सलियों का गढ़ माने जाते थे वहां अब सुरक्षा बलों का नियंत्रण और दबदबा हो गया है। हाल के महीनों में सुरक्षा बलों ने कई खतरनाक और मोस्ट वांटेड नक्सली कमांडरों को ढेर कर दिया है, जिन पर लाखों का इनाम घोषित था। ये वह नाम थे, जो लंबे समय से लाल आतंक का चेहरा बने हुए थे।
सबसे बड़ी सफलता बीजापुर जिले में मिली जहां सुरक्षाबलों ने इंद्रावती नेशनल पार्क क्षेत्र में मुठभेड़ में नक्सलियों की सेंट्रल कमेटी के सदस्य गौतम उर्फ सुधाकर को मार गिराया था। सुधाकर नक्सल संगठन का शिक्षा प्रमुख था और युवाओं को कट्टरपंथी बनाने में उसकी अहम भूमिका थी। उस पर एक करोड़ रुपए का इनाम घोषित था। इसके बाद तेलंगाना कमेटी के सदस्य भास्कर को सुरक्षाबलों ने मुठभेड़ में ढेर कर दिया। भास्कर मंचेरियल-कोमाराम भीम डिविजनल कमेटी का सचिव था और उसके पास से आधुनिक हथियार और भारी मात्रा में गोला-बारूद बरामद हुआ था। उस पर 45 लाख रुपए का इनाम था।
नारायणपुर में हुई मुठभेड़ अब तक की सबसे बड़ी सफलता मानी जा रही है। यहां सुरक्षाबलों ने 27 नक्सलियों को मौत के घाट उतार दिया था, जिनमें सबसे बड़ा नाम नंबाल्ला केशव राव उर्फ बसवराजू का था। बसवराजू सीपीआई-माओवादी का महासचिव था और देश का सबसे बड़ा वांटेड नक्सली नेता था। उस पर डेढ़ करोड़ रुपए का इनाम रखा गया था। गरियाबंद में एक और बड़े ऑपरेशन में सुरक्षा बलों ने 16 नक्सलियों को मार गिराया। मारे गए नक्सलियों में जयराम उर्फ चलपति भी शामिल था, जो सेंट्रल कमेटी का सदस्य और एक करोड़ का इनामी था। वह कई बड़े हमलों का मास्टरमाइंड रहा था।
इसके अलावा दामोदर उर्फ चोखा राव भी मारा जा चुका है। हालांकि, नक्सली संगठन उसका खंडन करते हुए दावा कर रहे हैं कि वह जीवित है। उस पर 50 लाख का इनाम था और वह कई राज्यों में मोस्ट वांटेड था। इन कार्रवाइयों से यह साफ होता है कि छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद अपने कमजोर दौर से गुजर रहा है और सुरक्षा बलों की आक्रामक रणनीति ने संगठन को भारी नुकसान पहुंचाया है।
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