राज्य और राजनीति
चंदन मिश्र
झारखंड विधानसभा चुनाव परिणाम को लेकर व्यथित भाजपा और इसके वरिष्ठ नेताओं की शनिवार को रांची में मंथन बैठक शुरू हुई। इस मंथन से विष निकलेगा या अमृत, यह रविवार को साफ होगा। भाजपा के राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बीएल संतोष मंथन बैठक में विशेष तौर उपस्थित हुए। मंथन बैठक में भाजपा के सभी जीते और हारे विधायकों को हार जीत के कारणों को जानने समझने के लिए बुलाया गया है। सभी विधायकों (हारे और जीते ) ने खुलकर अपनी बातें रखी है। यह सिलसिला अभी जारी रहेगा। मंथन बैठक के बाद बी एल संतोष पूरी रिपोर्ट लेकर दिल्ली जायेंगे। तीन दिसंबर को दिल्ली में राष्ट्रीय नेताओं की मंथन बैठक होगी, जिसमें सभी विधायकों और उम्मीदवारों की बातें, हार के कारण और जिम्मेवार तथ्यों की जानकारी राष्ट्रीय संगठन महामंत्री रखेंगे। भाजपा चुनाव लड़ने में जितनी ताकत और जोर लगाती है, उतनी ही ताकत हार के कारणों को जानने के लिए लगाती है।
झारखंड बीजेपी के लिए चुनाव हारना बहुत ही शर्मनाक स्थिति तो रही ही यह संगठन के नेताओं के लिए भी काफी दुखदाई है। भाजपा चुनाव लड़ने के दौरान जितनी ताकत थी उसे झोंक दी। लेकिन जब परिणाम उसके अनुकूल नहीं आया और जीती हुई सिम भी बीजेपी हार गए तो यह प्रदेश से लेकर केंद्रीय नेताओं को तगड़ा झटका लगा। भाजपा को विभिन्न संगठनों ने भी चुनाव जीतने में अपने स्तर से सहायता की उसके बावजूद कई विधानसभा क्षेत्र में भाजपा की करारी हार हुई। एक ऐसी सरकार इसके खिलाफ 5 साल की एंटी इनकमबैंसी हो और दोबारा चुनकर आ जाए तो यह प्रतिपक्ष के लिए सवालिया निशान तो खड़ा करता ही है। भाजपा के केंद्रीय नेता इस हार को पचा नहीं पा रहे हैं। भाजपा के केंद्रीय संगठन महामंत्री बीएल संतोष को झारखंड में चुनाव परिणाम की समीक्षा करने के लिए भेजने का मतलब ही है कि यह मामला भाजपा के लिए कितना गंभीर है।
मंथन बैठक में भाजपा के जीते हुए विधायक तथा हारे हुए उम्मीदवारों ने जी भरकर अपनी बातें रखी है। कहां और किस क्षेत्र में उन्हें सहायता नहीं मिली, कहां किस से धोखेबाजी हुई है इन सारी बातों का खुलकर उल्लेख किया गया है। झारखंड में भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश स्तर के नेताओं के बीच इस बात का मलाल है कि सब कुछ चुनाव प्रभारी तथा केंद्रीय नेताओं द्वारा तय किया गया। इस चुनावी समीक्षा का फलाफल जो भी निकले जो भी निर्णय होगा उसे झारखंड के संघटनात्मक ढांचा को बदलने में केंद्रीय नेतृत्व को आसानी होगी।
झारखंड बीजेपी में कुछ विशेष पदों पर बैठे हुए कई पुराने नेता अभी भी संगठन को अपनी जागीरदारी समझते हैं। विधायकों और हारे हुए उम्मीदवारों ने अपनी पीड़ा तो व्यक्ति है लेकिन सामने बैठे संगठन के नेताओं की वजह से कई बातें सार्वजनिक बताने में संकोच भी किया है। भाजपा के संगठन महामंत्री बीएल संतोष कल भी रांची में रहेंगे और समीक्षा की अगली कड़ी को भी पूरा करेंगे।
जानकारी के अनुसार कई नेताओं और विधायकों ने अलग से संगठन महामंत्री से मुलाकात की है और चुनावी परिणाम की दुर्दशा के लिए जिम्मेवार लोगों को संगठन के लिए हितकारी बताया है। यह तो तय है कि भाजपा झारखंड में इस करारी हार को किसी भी शर्त पर बच्चा नहीं पा रही है और इसकी भरपाई के लिए वह जो भी संभव होगा कार्रवाई करेगी।
झारखंड में भाजपा नेतृत्व को लेकर एक सवाल खड़ा हो रहा है क्योंकि प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने हार की जिम्मेवारी लेते हुए अपने इस्तीफा की पेशकश की है। यह देखना दिलचस्प होगा कि भाजपा नेतृत्व झारखंड में अपने सांगठनिक ढांचा को दुरुस्त करने के लिए क्या करें कदम उठाता है और अगले 5 सालों तक किसे संगठन की जिम्मेवारी सौंपती है। भाजपा अपने चिंतन बैठक में जो हर को लेकर मंथन कर रही है उससे विष निकलेगा या अमृत या तो दिसंबर के पहले सप्ताह के बाद स्पष्ट होगा फिलहाल यह तो तय है कि भाजपा यथास्थितिवाद में नहीं रहेगी। भाई पहाड़ हाल में झारखंड के सांगठनिक ढांचा का आमूल चूल परिवर्तन करना चाहिए और अगर ऐसा नहीं कर पाती है तो फिर इसे सत्ता के सुख प्राप्त नहीं हो पाएगा।
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