चंदन मिश्र
झारखंड विधानसभा के चुनाव में भाजपा और एनडीए गठबंधन की करारी हार से पार्टी के नेता और कार्यकर्ता हताश हैं। ऐसी हार पर दुख और हताशा स्वाभाविक है। औपचारिक प्रतिक्रियाओं को छोड़ दें तो भाजपा के बड़े नेताओं की अभी तक कोई गंभीर प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है। भाजपा का किसी भी नेता ने ऐसे परिणाम की उम्मीद नहीं की होगी। सचमुच यह हताश करनेवाला परिणाम है। 2019 के चुनाव में भी भाजपा के खराब प्रदर्शन के बावजूद 25 सीटें हासिल हुईं थीं । लेकिन इस परिणाम को क्या कहेंगे, जो 2019 से भी खराब रहा। भाजपा 21 और पूरा एनडीए 24 सीटों पर सिमट गया। राज्य बनने के बाद 2009 के विधानसभा चुनाव में जरूर भाजपा ने अब तक का सबसे खराब प्रदर्शन किया था। उस चुनाव में भाजपा को सिर्फ 18 सीटें मिलीं थीं। उस चुनाव में झामुमो को भी 18 सीटें मिलीं थीं। उस समय बाबूलाल मरांडी अलग राजनीतिक दल जेवीएम के प्रमुख थे और उनकी पार्टी को 11 सीटें मिलीं थीं। सवाल यह है कि भाजपा और एनडीए ने इस बार इतना खराब प्रदर्शन कैसे किया। सतही तौर पर देखें तो सत्तारूढ़ दल की लोक लुभावन मइयां सम्मान योजना ने पूरी बाजी पलट दी। उसके साथ साथ बिजली बिल माफी और ऐसी ही अन्य लोक लुभावन योजनाओं को सत्तारूढ़ इंडिया ब्लॉक की जीत का बड़ा कारण बताया जा रहा है। लेकिन इंडिया गठबंधन की जीत और भाजपा एनडीए की हार का कारण यही नहीं हैं। भाजपा ने विधानसभा चुनाव को पूरे शिद्दत के साथ लड़ा है। भाजपा ने हर कदम सोच समझ के उठाए । अपने साथी दलों के साथ सीटों का समझौता और टिकट का बंटवारा समय से पहले कर लिया था। भाजपा के शीर्ष नेताओं से लेकर प्रदेश के बड़े नेताओं ने पूरे तालमेल के साथ एनडीए गठबंधन के हर दल और हर एक उम्मीदवार के लिए चुनाव प्रचार किया है। सत्ताधारी दल को उन्हीं के मुद्दों पर घेरने के लिए भाजपा ने कई लोकलुभावन मुद्दों को अपने पांच प्रण के रूप में सामने रखा। महिलाओं को गोगो दीदी योजना के तहत ₹2100 हर महीने देने का वादा किया। महिलाओं को हर महीने ₹500 में रसोई गैस देने तथा साल में दो बार मुफ्त में सिलेंडर देने का भी वादा किया था। आप लोगों को घर बनाने के लिए फ्री बालू देने का भी वादा भाजपा ने किया था। भाजपा ने पौने दो लाख सरकारी पदों पर भर्तियां एक साल के अंदर पूरा करने का भी वादा किया था। युवाओं को खासकर बेरोजगार युवाओं को नौकरी देने तक आर्थिक सहायता के लिए भी उन्होंने देने का वादा किया था। इनके अलावा भाजपा ने कई ऐसे वायदे किए थे जिन्हें वह अपने मतदाताओं के लिए तथा झारखंड के आम नागरिकों के लिए सिर्फ लोक लुभावना नहीं कहा जा सकता। चुनावी रणनीति बेहतर ढंग से बनाकर चुनाव लड़ने के बावजूद भाजपा की पार्टी नेतृत्व के लिए चिंता का सबब है। भाजपा के हर स्तर के नेता और कार्यकर्ता या समझने की कोशिश कर रहे हैं कि आखिर चूक कहां हुई ?
भाजपा के शीर्ष नेताओं को यह समझना होगा कि क्या चुनाव प्रभारी के रूप में केंद्रीय नेताओं को पूरे चुनाव काल में दो महीने के लिए प्रदेश में तैनात करना लाभ के बजाय हानिकारक हो गया? क्या केंद्रीय चुनाव प्रभारी झारखंड की समस्या, यहां के लोगों और मुद्दों को समझने में विफल रहे ? भाजपा के नेताओं ने क्या जयराम महतो और उनकी पार्टी झारखंड लोकतांत्रिक क्रांतिकारी मोर्चा को समझने में भूल की ? क्या भाजपा के उम्मीदवार अति आत्मविश्वास में डूबे हुए थे ? क्या कुर्मी वोटरों ने भाजपा और उसके साथ ही दल आजसू पार्टी को धोखा दिया ? क्या चुनाव अभियान के दौरान भाजपा के समर्पित कार्यकर्ता और नेता अतिरिक्त दबाव में काम कर रहे थे ? क्या भाजपा और एनडीए की ओर से किसी को मुख्यमंत्री का चेहरा बनाकर सामने पेश न करना हार का कारण बना ?
क्या केंद्रीय नेताओं द्वारा प्रदेश के बड़े नेताओं को क्षेत्र विशेष में सीमित कर देना और उनकी बातों को तवज्जो नहीं देना, कहीं हार का कारण तो नहीं बना ? एक और सबसे अहम सवाल जो हर कार्यकर्ता और नेताओं के दिमाग में कौंध रहा है , भाजपा नेतृत्व ने क्या प्रदेश के वैसे नेताओं को ज्यादा तवज्जो दी जिनका स्थानीय कार्यकर्ताओं के साथ कोई कनेक्ट नहीं है ? क्या कुछ नेता खास उम्मीदवारों को जिताने की बजाय किसी तरह उन्हें हराने में भी अपनी ताकत लगा रहे थे ?
भाजपा के केंद्रीय और प्रादेशिक नेतृत्व को इन सवालों के जवाब तलाशने में होंगे। सत्तारूढ़ इंडिया ब्लॉक ने इस बार जिस ढंग से सत्ता हासिल की है यह उसके लिए फूलों नहीं , कांटे की सेज है। इंडिया ब्लॉक ने जिन लोक लुभावन घोषणाएं की है, उसे पूरा करने में झामुमो कांग्रेस राजद गठबंधन सरकार को बहुत पापड़ बेलने पड़ेंगे। राज्य के आर्थिक हालात को सुधारने की बजाय इन घोषणाओं और योजनाओं को पूरा करने में सूबे की आर्थिक हालत बिगड़ने की ज्यादा आशंका है।
भाजपा यदि बेहतर ढंग से और पूरी रणनीति के साथ सरकार को हर मुद्दे पर तथा सदन से लेकर सड़क तक आंदोलन करने, घेरने की योजना बनाकर काम करेगी तो शायद इसे आने वाले दिनों में ज्यादा फायदा होगा। झारखंड भाजपा को आने वाले दिनों में जोरदार प्रदर्शन करना होगा, सत्ता के खिलाफ संघर्ष करना होगा और सरकार की गड़बड़ियों को उजागर करना होगा तभी जनता के दिल में भाजपा जगह बन पाएगी। भाजपा को चाटुकार जैसे अपने नेताओं को दरकिनार करना होगा जो सिर्फ पार्टी को अपनी व्यक्तिगत प्रॉपर्टी समझ कर इस्तेमाल करते रहे हैं। भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व को अपने प्रदेश के नेताओं पर भरोसा रखना होगा और उन्हें पूरी स्वायत्तता देनी होगी, ताकि वे पूरी ताकत के साथ कम कर सकें। भाजपा को गंभीरता के साथ इन मुद्दों पर आगे बढ़ाना उसके भविष्य के लिए बेहतर होगा।
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