चार राज्यों के प्रदेश अध्यक्षों के चुनाव के बाद ही पार्टी लेगी फैसला
नई दिल्ली । बीजेपी का नया राष्ट्रीय अध्यक्ष चुनने में देरी हो रही है। अब खबर सामने आ रही है कि जेपी नड्डा के विकल्प पर अगस्त तक फैसला होगा। जून का महीना तकरीबन आधा हो चुका है और यूपी, मध्य प्रदेश, तेलंगाना, महाराष्ट्र जैसे बड़े राज्यों के अध्यक्षों का ही चुनाव नहीं हुआ है। ऐसे में इन राज्यों के अध्यक्ष तय होने के बाद ही बीजेपी राष्ट्रीय अध्यक्ष का फैसला लेगी। माना जा रहा है कि जुलाई तक का वक्त प्रदेश अध्यक्षों के चुनाव में ही चला जाएगा और उसके बाद ही राष्ट्रीय अध्यक्ष पर फैसला होगा।
बीजेपी के संविधान के मुताबिक राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव के लिए कम से कम देश के आधे राज्यों के प्रदेश अध्यक्षों का चुनाव होना जरूरी है। साथ ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से भी सलाह मशविरा होना बाकी है। पार्टी नेतृत्व चाहता है कि संघ की सहमति से ही अध्यक्ष बनाया जाए। ऐसा इसलिए क्योंकि अध्यक्ष पद पर आरएसएस चाहेगा कि उसके बैकग्राउंड का नेता ही बैठे। बीजेपी और संघ की लीडरशिप अकसर प्रदेश अध्यक्ष से लेकर राष्ट्रीय अध्यक्ष तक के पदों पर किसी बाहरी को महत्व नहीं देना चाहते।
पार्टी नेताओं को लगता है कि संगठन की कमान वैचारिक रूप से मजबूत लोगों के हाथों में होनी चाहिए। यही वजह है कि जिन लोगों के नाम राष्ट्रीय अध्यक्ष की दौड़ में शामिल हैं, उनमें से ज्यादातर लोग कभी संघ में रहे हैं या फिर खांटी भाजपाई हैं। फिलहाल इतना तय माना जा रहा है कि बिहार विधानसभा का चुनाव बीजेपी नए अध्यक्ष के नेतृत्व में लड़ेगी। बिहार में विधानसभा चुनाव अक्टूबर या नवंबर में होने हैं। बीजेपी अध्यक्ष के चुनाव में कभी इतनी देरी नहीं हुई है, लेकिन पहले लोकसभा चुनाव और फिर महाराष्ट्र और हरियाणा जैसे राज्यों के विधानसभा चुनाव के चलते मामला आगे बढ़ता गया।
अब प्रदेश अध्यक्षों का चुनाव हो रहा है और फिर राष्ट्रीय अध्यक्ष पर मंथन होगा। हालांकि जब 2014-15 में अमित शाह को कमान मिली थी तो ज्यादा वक्त नहीं मिला था। फिर जेपी नड्डा को जब 2020 में अध्यक्ष बनाया गया तो भी ज्यादा लंबी प्रक्रिया नहीं चली थी। दरअसल यूपी, एमपी और महाराष्ट्र जैसे राज्यों का ही अध्यक्ष चुनना बीजेपी के लिए बहुत आसान नहीं है। ओबीसी वोटों के ध्रुवीकरण की कोशिश के बीच बीजेपी भी चाहेगी कि यूपी में किसी पिछड़े नेता को मौका मिले। सीएम योगी आदित्यनाथ राजपूत हैं तो वहीं संगठन की कमान किसी ओबीसी वर्ग के नेता को दी जा सकती है।
वहीं मध्य प्रदेश में सीएम डॉ मोहन यादव बैकवर्ड कास्ट से हैं तो संगठन की कमान किसी सवर्ण नेता को मिल सकती है। बता दें आरएसएस का खुला मत है कि बीजेपी पको संगठन और मजबूत करना चाहिए क्योंकि 2024 के चुनाव नतीजे उसके लिए एक अलार्म की तरह थे। जेपी नड्डा का कार्यकाल 2023 में ही खत्म हो गया था, लेकिन वह तब से अब तक विस्तार पर चल रहे हैं। फिलहाल दौड़ में जो नाम चल रहे हैं, उनमें शिवराज सिंह चौहान, भूपेंद्र यादव, सुनील बंसल और मनोहर लाल खट्टर जैसे नेता शामिल हैं। इसके अलावा साउथ से जी किशन रेड्डी के नाम की भी चर्चा है।