रांची । भाजपा विधायकों ने झारखंड विधानसभा अध्यक्ष रबींद्र नाथ महतो को पद से हटाने के लिए प्रभारी सचिव को पत्र लिखा है। विधायकों ने प्रभारी सचिव से झारखंड विधानसभा की प्रक्रिया व कार्य संचालन के नियम 158 (1) के तहत उन पर कार्रवाई की मांग की है। भाजपा के विधायकों ने पत्र के माध्यम से स्पीकर पर कई आरोप लगाए हैं। वहीं, सरयू राय का गैर सरकारी संकल्प वोटिंग के माध्यम से खारिज हुआ। प्रभारी सचिव को प्रेषित पत्र पर बाबूलाल मरांडी समेत भाजपा के 22 विधायकों ने हस्ताक्षर किया है।
पत्र में कह गया है कि झारखंड विधानसभा के वर्तमान अध्यक्ष रबिन्द्रनाथ महतो ने पद का विवेकपूर्ण उपयोग नहीं करते हुए पार्टी के 18 विधायकों को हेमंत सरकार के इशारे पर निलंबित किया। इन विधायकों में अनंत कुमार ओझा, रणधीर कुमार सिंह, नारायण दास, अमित कुमार मंडल, डॉ. नीरा यादव, किशुन कुमार दास, केदार हाजरा, बिरंची नारायण, अपर्णा सेनगुप्ता, राज सिन्हा, कोचे मुंडा, भानु प्रताप शाही, समरी लाल, सीपी सिंह, नवीन जयसवाल, डॉ. कुशवाहा शशि भूषण मेहता, आलोक कुमार चौरसिया एवं पुष्पा देवी हैं।
भाजपा ने कहा है कि झारखंड विधानसभा के फुटेज से स्पष्ट है कि नेता प्रतिपक्ष अमरं कुमार बाउरी ने 31 जुलाई को सदन शुरू होते ही युवाओं एवं संविदाकर्मियों के विषय पर चर्चा करवाने एवं मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से जवाब दिलवाने का आग्रह किया था और यह बता भी दिया था कि यदि रात को भी रुकना पड़े तो भी हम तैयार हैं लेकिन बिना मुख्यमंत्री का जवाब सुने हमलोग नहीं जाएंगे। स्पीकर ने अपने पद का निष्पक्ष रूप से उपयोग नहीं किया और मुख्यमंत्री के हित की रक्षा करते हुए सरकार के इशारे पर झामुमो के एक विधायक सुदिव्य कुमार के द्वारा लाये गए निलंबन प्रस्ताव पर भाजपा विधायकों को निलंबित किया है जबकि अमूमन इस प्रकार का प्रस्ताव माननीय संसदीय कार्य मंत्री सदन में लाते हैं तथा उसके पूर्व में कार्य मंत्रणा समिति की बैठक होती है, जो नहीं हुआ।
पत्र में लिखा है कि झारखंड विधान सभा के वर्तमान अध्यक्ष ने अपने पद का सही रूप से निर्वहन नहीं करते हुए करीब पांच वर्ष अध्यक्ष की भूमिका में कम झामुमो के कार्यकर्ता के रूप में ज्यादा कार्य किया। इसका प्रमाण है विधानसभा अध्यक्ष रहते 2024 के संपन्न लोकसभा चुनाव में दुमका लोकसभा क्षेत्र में झामुमो का झंडा लगाकर झामुमो प्रत्याशी नलिन सोरेन के पक्ष में चुनाव प्रचार किया।
पत्र में कहा गया कि वर्तमान अध्यक्ष ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए झारखंड उच्च न्यायालय की बांग्लादेशी घुसपैठियों को चिन्हित कर वापस भेजने के लिए कार्य योजना शीघ्र बनाने का निर्देश हेमंत सरकार को दिया था। दुर्भाग्य से विधानसभा अध्यक्ष ने उच्च न्यायालय को भी नहीं बख्शा तथा उच्च न्यायालय की भी आलोचना करते हुए सार्वजनिक रूप से कहा कि झारखण्ड में बांग्लादेशी घुसपैठियों का कोई मामला ही नहीं है।
पत्र में लिखा है कि वर्तमान अध्यक्ष ने अपने पद पर रहते हुए लगभग चार वर्ष तक भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी सहित कई भाजपा विधायकों को पूर्वाग्रह से ग्रसित रहकर सदन के अंदर बोलने तक नहीं दिया तथा कई विधयाकों की पूरे सत्र के दरम्यान एक बार भी ध्यानाकर्षण की सूचना ग्रहण नहीं किया है। स्पीकर ने अपने पद पर रहते हुए लगातार केन्द्र सरकार की आलोचना की। यहां तक कि भाजपा के गोड्डा के सांसद के व्यक्तिगत बयान की भी सदन में चर्चा कर झामुमो एवं कांग्रेस के विधायकों को भी उकसाने का काम किया।
पत्र में लिखा है कि वर्तमान अध्यक्ष ने अपने पद पर रहते हुए नेता प्रतिपक्ष अमर कुमार बाउरी एवं अन्य विधायकों द्वारा युवाओं को पांच लाख नौकरी, स्नातकों को 5000 रुपये तथा स्नातकोत्तरों को 7000 रुपये का बेरोजगारी भता, पारा शिक्षक, सहायक पुलिस, होम गार्ड, आंगनबाड़ी सेविका, सहायिका एवं रसोईया, पारा मेडिकल कर्मी, मनरेगा कर्मी, पंचायत कर्मी सहित कार्यरत सभी अनुबंध कर्मियों को 2019 के विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के द्वारा परमानेंट करने का एवं उनकी समस्त मांगों को पूरी करने का झूठा वादा किया गया था। इन्हीं वादों को याद करते हुए भाजपा के विधायक मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से सदन में जवाब चाह रहे थे। बजाय जवाब दिलवाने के विधान सभा अध्यक्ष ने नेता प्रतिपक्ष के साथ रुखा, कड़ा एवं दुर्वयवहार किया, जो विधान सभा के सीसीटीवी फुटेज में देखा जा सकता है।
भाजपा ने पत्र में लिखा है कि इन तथ्यों से स्पष्ट है कि झारखण्ड विधानसभा के वर्तमान अध्यक्ष अपने पद का संवैधानिक दायित्व निर्वहन में असफल रहे हैं तथा झारखण्ड विधानसभा की प्रक्रिया तथा कार्य संचालन के अनुरूप सभा कार्य का संचालन एवं निष्पादन सम्यक रूप से नहीं कर रहे हैं। अत: झारखण्ड विधानसभा के वर्तमान अध्यक्ष को उनके पद से हटाया जाए।