गोड्डा : झारखंड प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन के महासचिव रंजन कुमार सिंह ने सरकार पर प्राइवेट स्कूलों को मान्यता देने में उदासीनता एवं मनमानी करने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा है कि एसोसिएशन किसी प्राइवेट स्कूल को बंद होने नहीं देगा। एसोसिएशन की ओर से जारी विज्ञप्ति में कहा गया है कि झारखंड प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन, रांची के समस्त निजी विद्यालयों ने आरटीई 2009-11 के आलोक में मान्यता के लिए प्रपत्र- वन अपने-अपने जिला के जिला शिक्षा अधीक्षक कार्यालय में समर्पित कर दिया है। लेकिन उसमें से कुछ विद्यालयों का स्थल निरीक्षण हुआ। कुछ के आवेदन मान्यता के लिए राज्य को प्रेषित किया गया, लेकिन 2024 तक किसी को मान्यता नहीं दिया गया। कुछ विद्यालय को मान्यता दिया गया तो मात्र एक वर्षों के लिए। वर्ष 2019 में आरटीई 2009-11 को झारखंड सरकार ने प्रथम संशोधन नियमावली 625 दिनांक 25.4.2019 लागू कर दिया। पच्चीस हजार का निरीक्षण शुल्क का चालान, एक लाख का विद्यालय के नाम से एफडी, अग्नि शामक, तड़ित चालक, प्रत्येक विद्यालय के भवन और कमरे का साइज आदि नए मान और मानक लागू किए गए, इसमें कहा गया कि कक्षा 01 से 05 तक के विद्यालयों को 40 डिसमिल जमीन शहर में 60 डिसमिल जमीन गांव में हो। कक्षा 01 से 08 तक के लिए 75 डिसमिल जमीन शहर में और एक एकड़ जमीन गांव में हो। ज्ञात हो की झारखंड में एसपीटी एक्ट और सीएनटी एक्ट लागू है, जिसके तहत जमीन की खरीद बिक्री या लीज संभव नहीं है। प्रदेश में सभी धर्मों एवं वर्गों के विद्वान शिक्षाविद निजी विद्यालयों का संचालन झारखंड के बिहार से अलग होने के पूर्व काल से कर रहे हैं, उनके जीवन का स्वर्ण युग अब अस्तचल की ओर है। वर्तमान सरकार चाहती है की 2019 के प्रथम संशोधन नियमावली के अनुरूप ही निजी विद्यालयों को मान्यता दी जाए।
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