नई दिल्ली : केंद्र की मोदी सरकार जनगणना की तैयारी में जुट गई है। ऐसे कई संकेत मिले हैं जिससे माना जा रहा है कि केंद्र सरकार जनगणना की तैयारियों को लेकर कई बिंदुओं पर विचार कर रही है। जानकारी अधिकृत नहीं है लेकिन कहा जा रहा है कि सरकार जातिगत वाले कॉल पर भी विचार कर सकती है।
इसके अलावा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली सरकार इस कार्यकाल में एक देश एक चुनाव भी लागू कर सकती है।सरकार ने दशकीय जनगणना कराने की तैयारी शुरू कर दी है, लेकिन इस प्रक्रिया में जाति संबंधी ‘कॉलम’ शामिल करने पर अभी निर्णय नहीं लिया गया है। बता दें कि राजनीतिक दल जाति जनगणना कराने की पुरजोर तरीके से मांग कर रहे हैं। नए आंकड़े नहीं होने के कारण सरकारी एजेंसियां अब भी 2011 की जनगणना के आंकड़ों के आधार पर नीतियां बना रही हैं और सब्सिडी आवंटित कर रही हैं।
जानकारी के मुताबिक पूरी जनगणना और एनपीआर प्रक्रिया पर सरकार के 12,000 करोड़ रुपये से अधिक खर्च होने की संभावना है। यह पहली डिजिटल जनगणना होगी, जिसके जरिए नागरिकों को स्वयं गणना करने का अवसर मिलेगा। इसके लिए जनगणना प्राधिकरण ने एक स्व-गणना पोर्टल तैयार किया है, जिसे अभी लॉन्च नहीं किया गया है। स्व-गणना के दौरान आधार या मोबाइल नंबर अनिवार्य रूप से जुटाया जाएगा।
इस दशक की जनगणना का पहला चरण 1 अप्रैल, 2020 को शुरू होने की उम्मीद थी, लेकिन कोविड-19 महामारी के कारण इसे स्थगित करना पड़ा। जनगणना के तहत घरों को सूचीबद्ध करने का चरण और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर को अपडेट करने का काम 1 अप्रैल से 30 सितंबर, 2020 तक पूरे देश में किया जाना था, लेकिन कोविड-19 के कारण इसे टाल दिया गया था। पिछले वर्ष संसद द्वारा पारित महिला आरक्षण अधिनियम का कार्यान्वयन भी दशकीय जनगणना से जुड़ा हुआ है।
लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए एक-तिहाई सीटें आरक्षित करने संबंधी कानून इस अधिनियम के लागू होने के बाद होने वाली पहली जनगणना के प्रासंगिक आंकड़ों के आधार पर परिसीमन की प्रक्रिया शुरू होने के बाद लागू होगा। दशकीय जनगणना में जाति संबंधी कॉलम शामिल करने के बारे में पूछे जाने पर सूत्र ने कहा, इस पर निर्णय होना अभी बाकी है।
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