नई दिल्ली । बरसात के मौसम में गिलोय का पौधा वरदान साबित होता है। गिलोय एक ऐसा पौधा है, जो कि कई बीमारियों में कारगर साबित होता है। आयुर्वेद में गिलोय को अमृत समान माना गया है। एक्सपर्ट के मुताबिक, गिलोय की पत्तियां, जड़ और तना सभी सेहत के लिए बहुत गुणकारी हैं। सबसे ज्यादा उपयोग इसके तने यानी डंठल का होता है। गिलोय एंटीऑक्सीडेंट गुण से भरपूर होती है। साथ ही इसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी, कॉपर, आयरन, फॉस्फोरस, जिंक, कैल्शियम, मैंगनीज और कैंसर रोधी गुण पाए जाते हैं। विशेष गुणों के कारण यह टायफाइड, बुखार, पीलिया, गठिया, डेंगू , इम्युनिटी पावर, डायबिटीज, कब्ज़, एसिडिटी, अपच, मूत्र संबंधी रोग जैसी तमाम बीमारियों में बेहद लाभकारी और गुणकारी है। गिलोय के स्वरस का सबसे अधिक उपयोग किया जाता है।
साथ ही इसके तने को कूट कर और पुराने गुड़ के साथ काढ़ा बनाकर भी इस्तेमाल किया जाता है। जो बेहद लाभकारी और गुणकारी है। एक्सपर्ट ने बताया, ‘बिना आयुर्वेद चिकित्सक से परामर्श लिए हुए किसी भी औषधि का उपयोग करना हानिकारक हो सकता है। इसलिए बीमारी और उम्र के हिसाब से सही मात्रा एक एक्सपर्ट ही तय कर सकता है।’ गिलोय को इ गुडूची और अमृता के नाम से भी जानते हैं। कोरोना काल में इसका उपयोग कर तमाम लोगों ने गिलोय के महत्व को जाना है।
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