मुंबई । बंबई उच्च न्यायालय ने अपने एक अहम फैसले में कहा कि सार्वजनिक स्थानों पर कबूतरों को दाना डालना केवल असुविधा ही नहीं, बल्कि लोगों के स्वास्थ्य के लिए भी खतरा है। कोर्ट ने साफ तौर पर मुंबई नगर निगम (बीएमसी) को निर्देश दिया कि इस गतिविधि में संलिप्त लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की जाए।
यह फैसला पशु प्रेमियों के एक समूह द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए आया। याचिका में कबूतरों को दाना डालने की अनुमति मांगी गई थी, लेकिन न्यायमूर्ति जी.एस. कुलकर्णी और न्यायमूर्ति आरिफ डॉक्टर की खंडपीठ ने इसे जनस्वास्थ्य से जुड़ा गंभीर मसला करार देते हुए याचिका खारिज कर दी। पीठ ने कहा कि कबूतरों के झुंड को दाना डालना सार्वजनिक परेशानी है, जिससे बच्चों, बुजुर्गों और सामान्य नागरिकों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि इस तरह की गतिविधि कानून की खुली अवहेलना है।
पुराने कबूतरखानों पर भी रोक
यह अलग बात है कि कोर्ट ने पहले बीएमसी को पुराने कबूतरखानों को गिराने से रोक दिया था, लेकिन यह साफ कर दिया था कि वहां कबूतरों को दाना डालने की अनुमति नहीं दी जा सकती। कोर्ट ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि इसके बावजूद लोग लगातार नियमों का उल्लंघन कर रहे हैं और नगर निगम के अधिकारी कार्रवाई करने से परहेज कर रहे हैं। अब कोर्ट ने बीएमसी को आदेश दिया है कि जो भी लोग अदालत के आदेशों की अवहेलना करते हुए कबूतरों को दाना डालते हैं, उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई करें और एफआईआर दर्ज की जाए। इसके साथ ही अधिकारियों को अपने कर्तव्यों का निष्पक्ष रूप से पालन करने को कहा गया है।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों की भी है चेतावनी
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि कबूतरों की बीट से हवा में फंगल संक्रमण फैल सकता है, जो फेफड़ों की बीमारियों का कारण बनता है। खासकर एलर्जी और अस्थमा से पीड़ित लोगों को इससे गंभीर जोखिम रहता है। इस फैसले के बाद संभावना व्यक्त की जा रही है कि मुंबई में कबूतरों को दाना डालने पर लगाम लगेगी और नगर प्रशासन इस दिशा में सख्त निगरानी शुरू करेगा।
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