नई दिल्ली । संयुक्त राष्ट्र खाद्य प्रणाली शिखर सम्मेलन स्टॉकटेक 27 से 29 जुलाई तक अदीस अबाबा (इथियोपिया) में होगा। यहां विश्व के नेता वैश्विक खाद्य प्रणाली के लिए खतरों पर चर्चा करने के लिए मिलेंगे। अगर आपने हाल के महीनों में सब्ज़ियों, प्याज़, आलू या चाय-कॉफ़ी की कीमतों में अजीब उछाल देखा है, तो यह केवल मंडी की मांग और आपूर्ति का मामला नहीं है। एक नई अंतरराष्ट्रीय रिसर्च के मुताबिक, भारत समेत दुनियाभर के 18 देशों में जलवायु परिवर्तन के चलते मौसम की चरम घटनाओं ने खाने-पीने की चीज़ों की कीमतों में तेज़ बढ़ोतरी की है।
भारत में आलू की कीमतों में पिछले पांच सालों में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है। साल 2019 और 2024 के बीच खुदरा कीमतों में 158प्रतिशत की वृद्धि हुई है। टमाटर, प्याज और आलू जैसी आवश्यक सब्जियों की खुदरा कीमत में बेहिसाब वृद्धि हुई है। रिपोर्ट के अनुसार, भारत में मई 2024 की हीटवेव के बाद प्याज और आलू की कीमतों में 80 प्रतिशत तक उछाल आया। वैज्ञानिकों के अनुसार यह हीटवेव सामान्य से कम से कम 1.5 डिग्री सेल्सियस अधिक गर्म थी और इसे एक असामान्य और गंभीर घटना माना गया है। भारत जैसे देश में, जहां प्याज और आलू रोजमर्रा की थाली के आधार हैं, इस तरह की बढ़ोतरी आम लोगों की रसोई पर सीधा असर डालती है।
ऐसे में इस वार्ता के पहले एक नयी अंतरराष्ट्रीय रिपोर्ट जारी हुई है, जिसके मुताबिक भारत समेत दुनियाभर के 18 देशों में जलवायु परिवर्तन के चलते मौसम की चरम घटनाओं ने खाने-पीने की चीज़ों की कीमतों में तेज़ बढ़ोतरी आई है। रिपोर्ट में बताया गया है कि साल 2022 से 2024 के बीच दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में सूखा, हीटवेव और अत्यधिक वर्षा जैसी घटनाओं ने फसलों को बर्बाद किया, जिससे खाद्य सामग्री के दाम बढ़े। यह अध्ययन वैज्ञानिक मैक्सिमिलियन कोट्ज़ की अगुवाई में किया है, जिसमें भारत, अमेरिका, यूके, इथियोपिया, ब्राज़ील, स्पेन, जापान, दक्षिण कोरिया जैसे देशों के आंकड़े शामिल हैं।
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