नई दिल्ली । केंद्र सरकार 1 सितंबर से जनगणना का कार्य शुरू कर सकती है। इसके लिए सितंबर माह से लेकर दिसंबर 2024 तक के आंकड़े एकत्रित कर जनगणना की जाएगी। सरकार ने अभी तक इसकी कोई अधिकृत जानकारी नहीं दी है। सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार जनगणना के आंकड़े किस तरह से एकत्रित किए जाएं। इसका फॉर्म तैयार कर लिया गया है। इसमें जातिगत जनगणना को शामिल करना है, या नहीं। इस पर सरकार ने अभी तक कोई फैसला नहीं लिया है। वर्तमान नियमों के अनुसार यह जनगणना 2021 में की जानी थी। उस समय कोविड के कारण इस जनगणना को टाल दिया गया था। सरकार इस बात पर भी विचार कर रही है। जनगणना का चक्र बदला जाए। यदि ऐसा हुआ तो जनगणना 2025 2035 और 2045 के नए चक्र में कराई जाएगी। 1881 से भारत में हर 10 वर्ष में जनगणना होती है। 2 साल का समय लगता है जनगणना में जनगणना के आंकड़ों को जुटाने के लिए फील्ड में सरकारी कर्मचारी जाते हैं। प्रत्येक परिवार की जनसंख्या के साथ-साथ सामाजिक एवं आर्थिक आधार पर भी जानकारी एकत्रित की जाती है। इसमें 4 से 6 माह का समय लगता है। जनगणना एक्ट 1948 के अनुसार अभी एससी और एसटी वर्ग की जनगणना का प्रावधान है। पिछड़े वर्ग की जनगणना करना है,तो इसका प्रावधान करने के लिए इसमें संशोधन लाना पड़ेगा। सभी जानकारी को एकत्रित कर उन्हें प्रकाशित करने के लिए कम से कम 2 वर्ष का समय लगता है। जातियों के आधार पर जनगणना अभी तक की जानकारी के अनुसार पिछड़े वर्ग की 2650 जातियां हैं। 2011 की जनगणना के अनुसार 1270 एससी और 748 एसटी वर्ग की जातियां थी। 2011 की जनगणना के अनुसार देशभर में 4668 जातियों के लोग एसटी /एससी और पिछड़े वर्ग की जातियाँ हैं। इसके अलावा अल्पसंख्यक और सामान्य वर्ग की जातियां अलग हैं। 2011 की जनगणना के आंकड़े जारी नहीं हुए पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के कार्यकाल में 2011 में जो जनगणना हुई थी। उसमें सामाजिक और आर्थिक आधार पर भी जनगणना कराई गई थी। उस सर्वेक्षण के आंकड़े सरकार ने जारी नहीं किये हैं। आंकड़े जारी होते, इसके पहले ही चुनाव हो गए।
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