नई दिल्ली । विभिन्न राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों ने चुनाव आयोग से मुलाकात कर बिहार में चुनाव से ठीक पहले हो रहे विशेष गहन संशोधन (एसआईआर) से संबंधित मुद्दों पर
अपनी शंका, आपत्ति दर्ज की तो आयोग ने उन्हें संवैधानिक व्यवस्था में आयोग को दिये गए लिखित अधिकारों की पुस्तिका पकड़ा दी। फिर उनसे पूछा, आप बताएं आयोग कहाँ और कौन सा गैर कानूनी, गैर संवैधानिक कार्य कर रहा है। आयोग वही कर रहा है जो आयोग का कर्तव्य है। अधिकार है।
चर्चा के लिए विभिन्न राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों ने निर्वाचन आयोग के मुख्यालय में मुख्य निर्वाचन आयुक्त ज्ञानेश कुमार, निर्वाचन आयुक्त डॉ. सुखबीर सिंह संधु और डॉ. विवेक जोशी के साथ एक महत्वपूर्ण बैठक की। यह बैठक आज शाम को आयोजित की गई, जिसमें सभी पक्षों के विचारों को सुनने के लिए आयोग ने प्रत्येक राजनीतिक दल से दो-दो प्रतिनिधियों को शामिल करने का निर्णय लिया। कुछ प्रतिनिधियों को अपॉइंटमेंट दिया गया था, जबकि कुछ बिना अपॉइंटमेंट, बिना पूर्व सूचना के आये आयोग सूत्रों ने बताया उन्हें भी बैठक में शामिल होने की अनुमति प्रदान की गई। निर्वाचन आयोग ने स्पष्ट किया कि बिहार में विशेष गहन संशोधन (एसआईआर) का आयोजन भारत के संविधान के अनुच्छेद 326, जनप्रतिनिधित्व अधिनियम (आरपी एक्ट) 1950 और 24 जून 2025 को जारी निर्देशों के अनुसार किया जा रहा है। यह प्रक्रिया मतदाता सूची को अद्यतन और सटीक बनाने के उद्देश्य से शुरू की गई है ताकि कोई भी पात्र मतदाता मतदान के अधिकार से वंचित न रहे। बैठक के दौरान राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों ने एसआईआर से संबंधित कई महत्वपूर्ण चिंताएँ और सुझाव रखे। इनमें मतदाता सूची में त्रुटियों का सुधार, नए मतदाताओं का पंजीकरण, डुप्लिकेट प्रविष्टियों को हटाना और तकनीकी व प्रशासनिक प्रक्रियाओं को और अधिक प्रभावी बनाने जैसे मुद्दे शामिल थे। आयोग ने प्रत्येक प्रतिनिधि द्वारा उठाए गए सभी मुद्दों का विस्तार से जवाब दिया और उनकी चिंताओं का समाधान करने का पूर्ण आश्वासन दिया। आयोग ने इस प्रक्रिया को पारदर्शी, समावेशी और निष्पक्ष बनाने के लिए सभी दलों के सहयोग की सराहना की। निर्वाचन आयोग ने विशेष रूप से सभी राजनीतिक दलों का आभार व्यक्त किया, जिन्होंने एसआईआर प्रक्रिया को जमीनी स्तर पर मजबूत करने के लिए 1.5 लाख से अधिक बूथ लेवल एजेंट्स (बीएलए) नियुक्त किए।
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