नई दिल्ली । अमेरिका ने रूस के साथ व्यापार करने वाले देशों के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया है। रूस की यूक्रेन के खिलाफ जंग के तीन साल बाद भी कुछ देश, खासकर भारत और चीन, रूस से तेल खरीद रहे हैं। इसके बाद अब अमेरिका में एक बिल को पेश किया गया है। इसमें रूस से व्यापार करने वाले देशों पर 500 फीसदी टैरिफ लगाने की बात कही जा रही है।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक इस बिल को राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का समर्थन मिला है। इस बिल के पास होने से भारत जैसे देशों के लिए खतरा पैदा हो गया है, जो रूस से सस्ता तेल खरीद रहे हैं। मीडिया रिपोर्ट में बताया गया है ट्रंप ने इस बिल को जुलाई की छुट्टियों के बाद वोट के लिए लाने की हरी झंडी दे दी है। ये बिल रूस की जंगी मशीनरी को कमजोर करने और राष्ट्रपति पुतिन को यूक्रेन मसले पर बातचीत की मेज तक लाने का हथियार है।
ये बिल रूस से तेल और अन्य सामान खरीदने वाले देशों, खासकर भारत और चीन पर भारी-भरकम टैरिफ लगाने की बात कर रहा है। अमेरिकी सीनेटर का कहना है कि भारत और चीन, रूस का 70 फीसदी तेल खरीदते हैं। इस बिल के जरिए अमेरिका इन मुल्कों पर दबाव बनाना चाहता है ताकि वह रूस से व्यापार बंद कर दें। उन्होंने ये भी साफ किया कि बिल में ट्रंप के पास वीटो का अधिकार होगा, यानी वह इसे लागू करने या न करने का फैसला ले सकते हैं।
इस बिल को 84 सीनेटरों का समर्थन मिला हुआ है। अमेरिरी सीनेटर ने कहा कि हम ट्रंप को एक ऐसा हथियार दे रहे हैं, जो उनके पास अभी नहीं है। ये बिल मार्च में पेश किया गया था, लेकिन व्हाइट हाउस की आपत्तियों और ट्रंप-पुतिन रिश्तों को सुधारने की कोशिशों के चलते इसे टाल दिया गया था। अब लगता है कि ट्रंप प्रशासन इस बिल को समर्थन देने को तैयार है।
रूस-यूक्रेन जंग की शुरुआत में अमेरिका और यूरोपीय देशों ने रूस पर व्यापार प्रतिबंध लगाया था। इसके साथ वैश्विक ट्रेड पेमेंट गेटवे स्विफ्ट को भी रूस के लिए बैन कर दिया था। इससे रूस के लिए किसी दूसरे के साथ व्यापार करना मुश्किल हो गया था। तब भारत ने रूस से सस्ते दरों पर तेल खरीदना शुरू किया था। इसके लिए दोनों देशों ने डॉलर के बजाय रूपया-रूबल प्रणाली से ट्रेड किया था। नतीजतन, भारत के कुल तेल आयात में रूस की हिस्सेदारी 1 फीसदी से बढ़कर 40-44 फीसदी तक पहुंच गई। जून में भारत ने रूस से 2-2.2 मिलियन बैरल प्रतिदिन तेल आयात करने की योजना बनाई, जो पिछले दो सालों में सबसे ज्यादा है। वहीं रूस ने इस बिल पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। क्रेमलिन के प्रवक्ता ने कहा कि अमेरिकी सीनेटर की रूस-विरोधी सोच जगजाहिर है।