एक सीजन में कमाती हैं 20 हजार रुपये
गोड्डा : जिले महागामा प्रखंड के नुनाजोर गांव की कविता देवी अब स्वरोजगार की दिशा में तेज़ी से कदम बढ़ा रही हैं। इसका जीवंत उदाहरण हैं कविता देवी, जो मधुमक्खी पालन कर न सिर्फ़ खुद आत्मनिर्भर बनी हैं, बल्कि दूसरों के लिए भी प्रेरणा स्रोत बन गई हैं। कविता देवी गोड्डा जिले की रहने वाली हैं और जेएसपीएल महिला समूह से जुड़ी हुई हैं। उन्होंने गोड्डा में ही आयोजित एक 5 दिवसीय प्रशिक्षण शिविर में मधुमक्खी पालन की बारीकियां सीखी थीं। प्रशिक्षण के बाद उन्होंने इस कार्य को अपनाया और अब एक सफल मधुमक्खी पालक के रूप में पहचान बना चुकी हैं। कविता बताती हैं कि मधुमक्खी पालन में खर्च कम और लाभ अधिक है। “एक बार में मैं लगभग 20 हजार रुपये तक की कमाई कर लेती हूं। शुद्ध देसी शहद की मांग गांव से लेकर शहर तक है। कई ग्राहक खुद आकर शहद लेने आते हैं,”।
कम लागत, बड़ा लाभ
कविता देवी ने बताया कि मधुमक्खी पालन की सबसे खास बात यह है कि इसमें ज़्यादा ज़मीन या संसाधनों की ज़रूरत नहीं होती। इस काम में लागत बहुत कम है और अगर देखरेख ठीक से की जाए तो मधुमक्खियां जल्दी-जल्दी शहद तैयार करती हैं। शुद्ध शहद की पैकिंग कर बाजार में बेचना आसान होता है और मुनाफा भी अच्छा मिलता है। किसानों को भी फायदा मधुमक्खियां न केवल शहद देती हैं, बल्कि फसलों के परागण में भी मदद करती हैं जिससे खेतों की पैदावार बढ़ती है। कविता देवी ने बताया कि आसपास के कई किसान भी अब उनसे संपर्क कर रहे हैं और मधुमक्खी पालन के बारे में जानकारी ले रहे हैं।महिला सशक्तिकरण का उदाहरण बनी कविता देवी कहती हैं कि यदि महिलाओं को सही प्रशिक्षण और थोड़ी हिम्मत मिल जाए, तो वे किसी भी क्षेत्र में सफलता पा सकती हैं। उन्होंने कहा, “मधुमक्खी पालन ने मेरी जिंदगी बदल दी है। अब मैं अपने परिवार की आर्थिक स्थिति मजबूत करने में सक्षम हूं।” प्रशासन और संगठन से उम्मीद कविता देवी चाहती हैं कि प्रशासन और स्वयंसेवी संगठन ऐसे कार्यों को बढ़ावा दें, ताकि गांव की और भी महिलाएं इस दिशा में आगे बढ़ सकें। उन्हें भरोसा है कि सरकार की योजनाओं और सहयोग से महिलाएं मधुमक्खी पालन जैसे छोटे व्यवसाय अपनाकर आत्मनिर्भर बन सकती हैं।
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