साहिबगंज-झारखंड राजभाषा साहित्य अकादमी एवं मनोरंजन भोजपुरी साहित्य परिषद के तत्वावधान में पहली बार मनाए जा रहे 42वां साहिबगंज ज़िला स्थापना दिवस के दो दिवसीय कार्यक्रम के तरह दूसरे दिन रविवार को सकरुगढ़ स्थित प्रयागराज सभागार में सम्मान समारोह, काव्य गोष्ठी व पुस्तक लोकार्पण कार्यक्रम का आयोजन हुआ. मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए कार्यक्रम के मुख्य अतिथि झारखंड रत्न, पद्मश्री मधु मंसूरी हंसमुख, विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ कुलाधिपति डॉ रामजन्म मिश्र, डॉ शकुंतला सहाय, सामाजिक कार्यकर्ता चंदेश्वर प्रसाद सिंहा एवं ऋषि प्रसाद गुप्ता उर्फ ऋषि का अंग वस्त्र, माला और पुस्तक से किया गया. आकाशवाणी व दूरदर्शन के कलाकार राजेश पंडित ने स्वागत गान गया और तबले पर पप्पू सिंह ने संगत दिया.कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलन के साथ हुआ. इस अवसर पर अनिरूद्ध प्रभास को साहित्य के क्षेत्र में बाबू हरिश्चंद्र साहित्य सम्मान, जयदीप शेखर को आचार्य शिववालक राय स्मृति सम्मान, देव तिवारी को पंडित मदन मोहन मालवीय सम्मान, निम्मी सिन्हा को छाप कल के चित्र में बेहतर प्रदर्शन के लिए डॉक्टर रामदयाल मुंडा सम्मान, एकता राय को आचार्य नंदलाल बसु सम्मान एवं योगेश यादव को खेल के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए जयपाल सिंह मुंडा सम्मान प्रदान किया गया.इस दौरान कक्षा 8 की छात्रा कुमारी गरिमा ने जागो भारत के राम कविता का प्रभावपूर्ण ढंग से वाचन किया. कुमारी गरिमा की कविता वाचन से प्रभावित होकर प्रसिद्ध समाज सेवी चंद्रदेश्वर प्रसाद सिंहा , ऋषि गुप्ता मुख्य अतिथि मधु मंसूरी ने ने 500-500 का नगद पुरस्कार दिया.वहीं पहली बार ऐतिहासिक जिला स्थापना महोत्सव स्मृति को स्थायित्व प्रदान करने के लिए राजगंगा स्मारिका का लोकार्पण झारखंड रत्न पद्मश्री मधु मंसूरी , डाॅ रामजन्म मिश्र, डॉक्टर शकुंतला सहाय, बार एसोसिएशन के अध्यक्ष पी एन तिवारी, चंदेश्वर प्रसाद सिन्हा व डॉक्टर सच्चिदानंद ने किया. वहीं प्रसिद्ध साहित्यकार ऋषि प्रसाद गुप्ता पहाड़ी बाबा एवं जयदीप शेखर की पुस्तक “परलोक की कथाएं” का भी लोकार्पण हुआ.
*जल, जंगल जमीन से झारखंड की पहचान-मधु मंसूरी*
साहिबगंज –मुख्य अतिथि झारखंड रत्न पद्मश्री मधु मंसूरी हंसमुख ने कहा कि झारखंड की पहचान जल जंगल एवं पहाड़ से है. व्यक्ति पेड़ उगा सकता है लेकिन पहाड़ नहीं उगा सकता. इसलिए जंगल व पहाड़ को बचाने से सभ्यता और संस्कृति बचेगी. मधु मंसूरी ने उजड़ते जंगल की पीड़ा अपने गीत में बयां की. “गांव छोड़ब नहीं , लड़ाई छोड़ब नहीं,माय माटी छोडब नहीं, जंगल काटे, खदान खोदे ,सेक्चुरी बनाए विकास के भगवान बात हम कैसे जान बचाए”. मंसूरी ने कहा कि इसकी संरक्षण की निरंतर लड़ाई जारी रखनी होगी.संयोजक डॉ सच्चिदानंद ने कहा कि साहिबगंज जिला स्थापना दिवस को एक उपलब्धि के रूप में देखा जाना चाहिए और इसे और भव्यतम रूप में मनाने के लिए सभी को एकजुट होना चाहिए.ताकि हम आने वाली पीढीयों को समर्थ सशक्त सांस्कृतिक विरासत युक्त साहिबगंज सौंप सकें. डाॅ रामजन्म मिश्र ने जिला स्थापना दिवस समारोह की परंपरा को मजबूती से आगे बढ़ाने का संदेश दिया. कार्यक्रम को कालिदास पाठक, एसडीपीओ किशोर तिर्की व अन्य ने संबोधित किया. मौके पर शिक्षक मनोज कुमार झा, पर्यावरण विद् नवल कुमार झा, श्याम विश्वकर्मा, एकता राय, गरिमा कुमारी, भगवती पांडे, विजय कुमार भारती ,प्रोफेसर बृजमोहन यादव, प्रमोदआनंद, डॉ मनोज कुमार यादव, पूर्व प्रधानाध्यापक शंभूनाथ यादव, परशुराम अखाड़ा के संयोजक अंकित पांडे , रंजू मिश्रा, सरिता मिश्र,नीतू मिश्रा, पूर्व वार्ड पार्षद जयप्रकाश सिंह, गोपाल चोखानी, उपेंद्र राय ,सुशील कुमार भारती वीर कुंवर सिंह विचार मंच के संयोजक एवं पूर्व वार्ड पार्षद संतोष कुमार सिंह ,कर्मचारी संघ के अध्यक्ष भरत यादव, बासुकी साह, कुमारी गरिमा कला भूमि के संयोजक अमृत प्रकाश ,शिक्षिका चंपकलता दास, पूर्व प्रधानाध्यापिका गीता पांडे, अखिलेश कुमार यादव ,प्रियांशु दुबे मानस कुमार ,भारती, मधु मिश्रा साक्षी कुमारी, शम्मी कुशवाहा, राहुल कुमार दुबे ,मुख्य रूप से उपस्थित थे.