इजराइल को डर है ईरान परमाणु हथियार बना लेगा तो वह दबाव में आ जाएगा9
नई दिल्ली । बीते तीन सालों से कई देश जंग के मैदान में हैं। रूस ने फरवरी 2022 में यूक्रेन पर हमला बोला था और अब भी दोनों देश लड़ रहे है। इस बीच हमास और इजराइल में जंग छिड़ गई। ये दोनों मोर्चे बंद भी नहीं हुए थे कि इस बीच इजराइल ने ईरान पर हमला कर दिया जिससे भीषण जंग शुरू हो गई है। आज इस जंग का 5वां दिन है और तेहरान से लेकर तेल अवीव तक दोनों में मिसाइल और बम के धमाके सुनाई दे रहे हैं। पहली बार इजराइल की राजधानी तेल अवीव पर मिसाइलों के हमले हो रहे हैं और कई इमारतें जमींदोज हो चुकी हैं। यूक्रेन और रूस की जंग हो या फिर ईरान और इजराइल का युद्ध। दोनों जंगों में एक चीज कॉमन है और वह है- डर। कहते हैं न कि डर सबको लगता है तो वही फियर फैक्टर है, जिसने दो जंगें करा दी हैं। इन युद्धों के चलते तेल की महंगाई से लेकर तमाम चीजों पर असर पड़ रहा है और उससे भारत समेत दुनिया के तमाम देश प्रभावित हो रहे हैं।
यूक्रेन और रूस की जंग की तो वहां फियर फैक्टर यह था कि पुतिन के देश को लग रहा था कि कहीं यूक्रेन नाटो का हिस्सा न बन जाए। यूक्रेन नाटो का हिस्सा बन सकता है, यह आरोप लगाते हुए ही रूस ने हमले शुरू किए थे। रूस ने शर्त भी यही रखी थी कि यूक्रेन गारंटी दे कि वह नाटो का हिस्सा नहीं बनेगा। वहीं यूक्रेनी राष्ट्रपति कहते रहे कि नाटो देश हमें मेंबर बनाने पर विचार करें। इससे तनाव और बढ़ता गया। फिनलैंड, नॉर्वे, एस्टोनिया, लातविया और पोलैंड जैसे रूस के कई पड़ोसी देश पहले से ही नाटो का हिस्सा हैं। इन देशों के नाटो का मेंबर होने के चलते कभी भी अमेरिकी हथियार और सेना रूस की सीमा तक पहुंच सकते हैं।
अब फियर फैक्टर परमाणु हथियारों का है। इस्लामिक दुनिया में एकमात्र परमाणु संपन्न देश पाकिस्तान है। ईरान, सऊदी अरब समेत कई देश इस्लामिक दुनिया में मजबूत तो हैं, लेकिन परमाणु हथियारों उनके पास नहीं हैं। ऐसे में इजराइल को लगता है कि यदि ईरान के पास परमाणु हथियार हुए तो फिर फिलिस्तीन से लेकर तमाम मसलों पर वह दबाव बनाने की स्थिति में होगा।
इसके अलावा अमेरिका के लिए भी यह चिंता की बात है। ईरान से पहले ही उसके रिश्ते खराब हैं। यदि वह परमाणु संपन्न हुआ तो फिर चीन और रूस के खेमे में जाकर अमेरिका के लिए बड़ी मुसीबत बन सकता है। ईरान को परमाणु शक्ति बनने से रोकने और दबाव में लाने के लिए ही इजराइल ने हमला किया। यही नहीं इस हमले में अमेरिका की भी सहमति है ताकि ईरान को वार्ता के लिए दबाव में लाया जा सके। इस तरह फियर फैक्टर के चलते दो युद्ध फिलहाल दुनिया झेल रही है।