कार्य तीन दिनों से ठप होने से अबतक 12 करोड़ का नुकसान
श्रीराम भगत
अमड़ापाड़ा (पाकुड़) । पचुवाड़ा नार्थ कोल ब्लॉक में चल रहा विस्थापित ग्रामीणों का आंदोलन मंगलवार को तीसरे दिन भी जारी रहा। आंदोलन के कारण खनन और कोयला परिवहन पूरी तरह ठप पड़ा है। कोल माइंस में उपयोग होनेवाली भारी मशीनें, लोडर और डंपर जहां के तहीं खड़े हैं। कार्यस्थल पर पूरी तरह सन्नाटा पसरा हुआ है। ग्रामीणों का आरोप है कि परियोजना की आवंटी कंपनी डब्ल्यूपीडीसीएल और एमडीओ कंपनी बीजीआर बीते छह वर्षों से केवल शोषण कर रही है। आंदोलन में शामिल विशनपुर, चिल्गो, आलूबेड़ा समेत अन्य गांवों के लोगों रंजन मरांडी, प्रधान मुर्मू, सुरेश टुडू, अन्द्रियास मुर्मू, रमेश मुर्मू, सोम हेम्ब्रम, राजू मुर्मू, नाजिर सोरेन, बोनेश्वर टुडू, मुंशी टुडू, जॉन हांसदा, मानवेल और साहेबजन मरांडी ने कहा कि कंपनी न तो एमओयू के तहत किए गए वादों को पूरा कर रही है और न ही उसे सार्वजनिक कर रही है। ग्रामीणों ने बताया कि माइंस स्वीकृति के समय जो वादे किए गए थे, उनमें से एक भी पूरी तरह से लागू नहीं हुआ है। शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क और पेयजल जैसी बुनियादी सुविधाओं का अब तक घोर अभाव है। वहीं कोयला धूलकण से फसलें बर्बाद हो रही हैं और मुआवजा देने की कोई व्यवस्था नहीं की गई है।
जमीन समतल कर लौटाने की मांग :-
ग्रामीणों की प्रमुख मांग है कि खनन कार्य के बाद जमीन को समतल कर रैयतों को वापस सौंपा जाए। उनका कहना है कि अब वे सिर्फ आश्वासन से संतुष्ट नहीं होंगे, जब तक सभी वादों को ठोस रूप से पूरा नहीं किया जाता, तब तक कोल ब्लॉक का संचालन पूरी तरह से बंद रहेगा।
प्रबंधन और प्रशासन की चुप्पी से नाराज़गी :-
आंदोलनकारियों ने बताया कि मंगलवार को भी न तो कोल प्रबंधन का कोई प्रतिनिधि और न ही प्रखंड या जिला प्रशासन का कोई अधिकारी बातचीत के लिए सामने आया। इस बेरुखी से ग्रामीणों का गुस्सा और अधिक भड़क उठा है।
ग्रामीणों की प्रमुख मांगें:
एमओयू को सार्वजनिक किया जाए और सभी वादों को पूरा किया जाए, शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क और पेयजल की समुचित व्यवस्था की जाए, कोल डस्ट से प्रभावित फसलों का उचित मुआवजा, खनन के बाद जमीन समतल कर रैयतों को लौटाई जाए। ग्रामीणों के आंदोलन का यह स्वरूप लगातार तेज होता जा रहा है और यदि जल्द समाधान नहीं निकला, तो यह स्थिति लंबे समय तक कोल परियोजना को प्रभावित कर सकती है।
क्या कहते है जिला खनन पदाधिकारी
जिला खनन पदाधिकारी राजेश कुमार ने बताया कि माइंस में खनन कार्य तीन दिनों से ठप होने से मंगलवार को तीसरे दिन करीब 4 करोड़ राजस्व की क्षति हुई है। कुल मिलाकर 12 करोड़ की क्षति हुई है ,कोल कंपनी को।