राज्य और राजनीति
चंदन मिश्र
बिहार विधानसभा के चुनाव में अभी कुछ महीने बाकी हैं, लेकिन सियासत अभी से उफान मारने लगा। बिहार में इंडिया गठबंधन को राजद लीड कर रहा है। कांग्रेस और वामदल उसके पीछे पीछे चल रहे हैं। चुनाव को लेकर इंडिया गठबंधन की अब तक चार बैठकें हो चुकी हैं, लेकिन झामुमो को इंडिया गठबंधन ने बिहार में कोई तवज्जो नहीं दिया। झामुमो को न तो बैठक में बुलाया है, और न ही सीट बंटवारे पर कोई चर्चा की है। इंडिया गठबंधन के नेताओं के रवैए से झामुमो खासा नाराज है। वहीं झारखंड में राजद के नेता झामुमो के इस रवैए पर सकारात्मक प्रतिक्रिया देने की बजाय औकात बताने की कोशिश कर चिढ़ा दिया।
झामुमो झारखंड में इंडिया गठबंधन को लीड कर रहा है। यहां बड़े भाई की भूमिका में है। लिहाजा उसे इतनी उम्मीद तो थी कि बिहार में उसके मन मुताबिक सीटें देने की बात कही जाएगी। या चुनावी बैठक में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया जाएगा। लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। यही बात झामुमो को नागवार गुजरी और झामुमो ने बिहार में कुछ सीटों पर चुनाव लड़ने की बात कही है। बिहार में झामुमो की राजनीतिक जमीन कितनी मजबूत है, यह उसे भी पता है। झारखंड से सटे कुछ इलाकों में झामुमो का प्रभाव है, लेकिन इतना प्रभाव भी नहीं है कि दर्जन भर सीटों पर झामुमो पूरी ताकत के साथ लड़ सके। झामुमो पहले भी बिहार में कुछ सीटों पर चुनाव लड़कर अपनी ताकत की आजमाइश कर चुका है। लेकिन उसे उम्मीद से बहुत कम सफलता मिली। लेकिन झारखंड में पिछले दो चुनावों में झामुमो को बड़ी सफलता मिली है इसलिए इसका हौसला अभी बुलंद है। लेकिन बिहार में झामुमो जमीनी तौर पर इतना मजबूत नहीं है कि चार पांच सीटों पर लड़कर चुनाव जीत सके। हर राजनीतिक दल अपनी जमीनी हकीकत जनता है। लेकिन झारखंड में इंडिया गठबंधन में लीडर की भूमिका निभाकर दूसरे प्रांतों में भी ताकत बढ़ाने की योजना बनाई है। यह अलग बात है कि उसे भी पता है कि दस फीसदी सीटों पर भी उसे सफलता नहीं मिलेगी।
झामुमो बिहार में इंडिया गठबंधन से नाराज होकर अपनी राह अलग कर ले, ऐसा भी संभव नहीं है। झारखंड में झामुमो को अभी सरकार चलानी है। बगैर कांग्रेस और राजद के समर्थन के झामुमो को पूर्ण बहुमत हासिल नहीं होगा। राजद को अलग कर भी दे तो झामुमो को कांग्रेस का साथ जरूरी होगा। इसलिए राजनीति में घुड़की देना जरूरी होता है।
झामुमो बिहार चुनाव में इंडिया गठबंधन से कैसा संबंध रखेगा, यह चुनाव घोषणा के बाद ही पता चलेगा। लेकिन इंडिया गठबंधन में दरार की फिलहाल कोई संभावना नहीं दिखाई देती है। वैसे अभी तक इस प्रसंग में झामुमो के सबसे बड़े नेता ने कुछ भी प्रतिक्रिया नहीं दी है। झामुमो के अध्यक्ष और झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कोई टिप्पणी नहीं की है। उनकी टिप्पणी के गंभीर मायने होंगे।
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