नई दिल्ली । रोजमर्रा के जीवन में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) की बढ़ती भूमिका को लेकर दुनिया में भारतीय सबसे ज्यादा खुश हैं। एक रिपोर्ट में यह बात सामने आई कि एक सर्वे से पता चला है कि भारत में 30 फीसदी लोग एआई के विकास को लेकर खुश हैं। इसके अलावा रिपोर्ट में बताया गया कि भारत के 27 फीसदी पार्टिसिपेंट्स एआई को लेकर आशावादी दृष्टिकोण रखते हैं।
वहीं सर्वे में 55 फीसदी भारतीयों ने एआई के साथ उच्च इंगेजमेंट की संभावना जताई, उसके बाद 51 फीसदी के साथ यूएई और 48 फीसदी इंडोनेशिया का नंबर आता है। इसके अलावा सर्वे में कहा गया कि दुनिया भर में केवल 16 फीसदी पार्टिसिपेंट्स एआई के भविष्य के प्रभाव को लेकर आशावादी हैं, जबकि 7 फीसदी लोगों का कहना है कि वे इससे खुश हैं। सबसे ज्यादा आशावादी लोग हांगकांग के हैं, जहां 33 फीसदी लोगों ने एआई को लेकर सकारात्मकता दिखाई। यूएई के 21 फीसदी एआई के विकास को लेकर उत्साहित हैं।
सर्वे से यह भी पता चला है कि अगले दशक में रोजमर्रा की जिंदगी में एआई की बढ़ती भूमिका के प्रति वैश्विक दृष्टिकोण, आशावाद की तुलना में सतर्कता की ओर ज्यादा झुका हुआ है। दुनिया भर में 22 फीसदी पार्टिसिपेंट्स ने एआई के उदय के बारे में सतर्क रहने की जरुरत बताई। भारत में केवल 13 फीसदी पार्टिसिपेंट्स ने सतर्कता व्यक्त की। इसकी तुलना में 34 फीसदी इंडोनेशियाई, 33 फीसदी पोलिश, 30 फीसदी फ्रांसीसी, 27 फीसदी सिंगापुर और 26 फीसदी स्पेनिश एआई को लेकर सतर्क हैं।
इस बीच ग्लोबल पार्टिसिपेंट्स में से 17 फीसदी एआई को लेकर चिंतित हैं। सबसे ज्यादा 27 फीसदी फ्रांस, 26 फीसदी अमेरिका और 25 फीसदी ग्रेट ब्रिटेन के लोग एआई को लेकर परेशान हैं। तुलनात्मक रूप से केवल 8 फीसदी भारतीय पार्टिसिपेंट्स ने एआई को लेकर चिंता जताई है। यह डेटा 17 बाजारों में 18 साल से ज्यादा की आयु के वयस्कों के आधार की गई है।
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