नई दिल्ली । दिल्ली में आयोजित वार्षिक व्यापार शिखर सम्मेलन 2025 में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने पाकिस्तान और पीओके (पाक अधिकृत कश्मीर) को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने स्पष्ट किया कि अब भारत और पाकिस्तान के बीच जब भी कोई वार्ता होगी, वह केवल आतंकवाद और पीओके पर केंद्रित होगी।
राजनाथ सिंह ने कहा, मैं मानता हूं कि पीओके के लोग हमारे अपने हैं, हमारे परिवार का हिस्सा हैं। हम एक भारत श्रेष्ठ भारत के संकल्प के लिए प्रतिबद्ध हैं और हमें यकीन है कि हमारे वो भाई, जो आज हमसे भौगोलिक और राजनीतिक रूप से अलग हैं, वे भी अपने स्वाभिमान, आत्मा की आवाज और स्वेच्छा से भारत की मुख्यधारा में जरूर वापस लौटेंगे। उन्होंने आगे कहा कि पीओके की जनता आज भी भारत से जुड़ाव महसूस करती है और भारत का दृष्टिकोण हमेशा दिलों को जोड़ने वाला रहा है। प्रेम, एकता और सत्य के मार्ग पर चलकर वो दिन दूर नहीं जब पीओके स्वयं लौटकर कहेगा, मैं भारत ही हूं, मैं वापस आया हूं।
यहां पर रक्षा मंत्री राजनाथ ने बताया कि भारत ने अपनी आतंकवाद विरोधी रणनीति को नए सिरे से परिभाषित और पुनर्निर्धारित किया है। उन्होंने कहा, कि हमने पाकिस्तान के साथ संवाद के दायरे और दिशा को फिर से तय किया है। अब आतंकवाद का कारोबार कॉस्ट इफेक्टिव नहीं रहा, पाकिस्तान इसकी भारी कीमत चुका रहा है। वहीं राजनाथ ने मेक इन इंडिया को भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण बताया। उन्होंने कहा कि अगर भारत के पास स्वदेशी सैन्य निर्माण की क्षमता नहीं होती, तो हमारी सेनाएं पाकिस्तान और पीओके में आतंकवाद के खिलाफ इतनी प्रभावी कार्रवाई नहीं कर पातीं। उन्होंने कहा कि भारत अब केवल मिसाइल या लड़ाकू विमान ही नहीं बना रहा, बल्कि न्यू एज वारफेयर तकनीक जैसे कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई), साइबर डिफेंस, और स्पेस डिफेंस की ओर भी तेजी से बढ़ रहा है।
ऑपरेशन सिंदूर का उल्लेख
राजनाथ सिंह ने जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद चर्चा में आए ऑपरेशन सिंदूर का जिक्र करते हुए कहा कि भारत ने पूरी दुनिया को चौंकाया है और यह साबित कर दिया है कि वह किसी भी सुरक्षा कवच को भेदने की क्षमता रखता है। रक्षा मंत्री ने कहा, कि जो व्यक्ति विश्वास के योग्य है, वह देश की सबसे बड़ी पूंजी होता है। उन्होंने गर्व के साथ कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुका है। यह केवल आर्थिक आंकड़ों का विस्तार नहीं, बल्कि भारत पर दुनिया और खुद भारत का विश्वास बढ़ने का प्रतीक है।