नई दिल्ली । डेंगू और मलेरिया जैसी बीमारियों की शुरुआत तेज बुखार और कमजोरी जैसे लक्षणों से होती है, जिससे अक्सर लोग भ्रमित हो जाते हैं । यह भ्रम कई बार बीमारी को गंभीर बना सकता है, इसलिए सही समय पर सही पहचान और इलाज बेहद जरूरी हो जाता है।
डेंगू एक वायरल संक्रमण है, जो एडीज एजिप्टी नामक मच्छर के काटने से फैलता है। यह मच्छर आमतौर पर दिन के समय सक्रिय रहता है और साफ पानी में पनपता है। वहीं मलेरिया एक परजीवीजनित रोग है, जो प्लाज्मोडियम नामक परजीवी के कारण होता है। यह परजीवी एनाफिलीज मच्छर के जरिए फैलता है, जो गंदे या ठहरे हुए पानी में पनपता है और रात के समय काटता है। इन दोनों बीमारियों के शुरुआती लक्षण जैसे तेज बुखार, सिरदर्द, शरीर में दर्द, ठंड लगना और थकान काफी हद तक एक जैसे होते हैं, जिससे सही पहचान करना कठिन हो जाता है।
हालांकि, कुछ विशेष लक्षणों पर ध्यान देकर इनकी पहचान संभव है। डेंगू में अचानक तेज बुखार, आंखों के पीछे दर्द, त्वचा पर रैशेज और प्लेटलेट काउंट का तेजी से गिरना जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। गंभीर मामलों में नाक या मसूड़ों से खून भी आ सकता है। दूसरी ओर मलेरिया में बुखार के साथ ठंड लगना, कंपकंपी, पसीना आना और हर 48 या 72 घंटे के अंतराल पर बुखार लौटना जैसे लक्षण होते हैं। कभी-कभी उल्टी, मतली और आंखों का पीलापन भी देखा जा सकता है। अगर इन लक्षणों में से कोई भी लगातार दिखे तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए और खून की जांच करवानी चाहिए। डेंगू की पुष्टि के लिए एनएस1 एंटीजन टेस्ट या आईजीएम/आईजीजी एंटीबॉडी टेस्ट और मलेरिया की पुष्टि के लिए ब्लड स्मीयर या रैपिड डायग्नोस्टिक टेस्ट कराए जाते हैं।
डेंगू के लिए कोई विशेष एंटीवायरल दवा नहीं है, लेकिन लक्षणों के आधार पर इलाज किया जाता है। वहीं मलेरिया के लिए प्रभावी दवाएं उपलब्ध हैं, और समय रहते इलाज हो जाए तो मलेरिया पूरी तरह ठीक हो सकता है। सावधानी और जागरूकता ही इन बीमारियों से बचाव का सबसे बड़ा उपाय है। बता दें कि भारत में बरसात के मौसम के बाद डेंगू और मलेरिया जैसी मच्छरजनित बीमारियों का खतरा तेजी से बढ़ जाता है। लोग इन्हें सामान्य वायरल या मौसम का असर समझकर घरेलू इलाज शुरू कर देते हैं, लेकिन इस सही नहीं माना जाता है।
WhatsApp Group जुड़ने के लिए क्लिक करें 👉
Join Now