नई दिल्ली । भारत सरकार ने न्यू अफगान वीजा मॉड्यूल के तहत जो सेवा शुरू की है, उसके अनुसार ऐसे लोगों को ही वीजा मिलेगा, जिन्हें किसी तरह का इलाज कराना हो या फिर मरीज की तीमारदारी करनी हो। वहीं छात्रों, कारोबारियों, मेडिकल अटेंडेंट, यूएन डिप्लोमैट वीजा पर आने वाले लोगों को भी एंट्री दी जाएगी। इन वीजा के आवेदनों पर हर मामले को लेकर अलग-अलग फैसला लिया जाएगा। वहीं पहलगाम आतंकी हमले के बाद से पाकिस्तान के लोगों की एंट्री पर भारत सरकार ने बैन लगा रखा है। वीजा सेवाएं ठप कर दी गई हैं। इस बीच तालिबान से भारत के रिश्तों में सुधार को देखते हुए अफगानिस्तान के लोगों के लिए वीजा सेवाओं को शुरू किया गया है।
बीते माह विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने अफगानिस्तान के अपने समकक्ष आमिर खान मुत्ताकी से बात की थी। वहीं तालिबान शासन ने पहलगाम में हुए आतंकी हमले की निंदा की थी और कहा था कि इस लड़ाई में हम भारत के साथ हैं। दरअसल भारत और अफगानिस्तान के बीच चाबहार पोर्ट को लेकर भी साझेदारी है। वहीं इंटरनेशनल नॉर्थ साउथ ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर को लेकर भी दोनों देश मिलकर काम कर रहे हैं। यह कॉरिडोर भारत से लेकर ईरान, रूस होते हुए यूरोप को जोड़ने वाला है। इस तरह दो अहम प्रोजेक्ट्स में दोनों देश साथ हैं और पाकिस्तान के साथ दोनों के ही संबंध सहज नहीं हैं।
अफगानिस्तान के लोगों को वीजा आवेदन करने के लिए मौके की एक तस्वीर, पासपोर्ट की डिटेल्स और एक अन्य आईडी कार्ड पोर्टल पर सबमिट करना होगा। यह फैसला महत्वपूर्ण है क्योंकि बीते कुछ महीनों में तालिबान के साथ भारत के रिश्ते सामान्य हुए हैं। तालिबान ने भारत को भरोसा दिया है कि उसकी जमीन से आतंकी गतिविधियों को संचालित नहीं होने दिया जाएगा। वहीं पाकिस्तान से उसके रिश्ते खैबर पख्तूनख्वा में सक्रिय आतंकियों और डूरंड लाइन को लेकर सहज नहीं हैं। ऐसी स्थिति में भारत के साथ संबंध सुधार के अपने मायने हैं। भारत ने अफगानियों के लिए वीजा सेवा शुरू करके इसका संदेश भी दिया है।
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