नई दिल्ली । दिल्ली हाईकोर्ट ने एक जासूसी गिरोह के हिस्से होने वाले आरोपी की जमानत नामंजूर कर दिया। आरोपियों पर भारत की अखंडता और सुरक्षा के खिलाफ आरोप है। न्यायाधीश ने कहा कि जासूसी से नहीं, बल्कि राष्ट्र की संप्रभुता के खिलाफ अपराध है। भारत में जासूसी और गोपनीय जानकारी लीक के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। 2014 की 11 केस से लेकर 2022 की 55 तक मामलों की संख्या वृद्धि कर गई है। अधिनियम के तहत जासूसी करने पर कड़ी कार्रवाई की जा सकती है। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों के अनुसार गोपनीयता लीक के मामलों में वृद्धि के पीछे डिजिटल कम्युनिकेशन का बढ़ता प्रयोग और संवेदनशील सूचनाओं की चिंताजनक संभावनाएं हो सकती हैं। यह सुरक्षा एजेंसियों के लिए एक बड़ी चुनौती है।
जासूसी को लेकर नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के 2014 से 2022 के आंकड़े इस प्रकार हैं-
वर्ष 2014 11 मामले
वर्ष 2015 9 मामले
वर्ष 2016 30 मामले
वर्ष 2017 18 मामले
वर्ष 2018 40 मामले
वर्ष 2019 40 मामले
वर्ष 2020 39 मामले
वर्ष 2021 55 मामले
वर्ष 2022 55 मामले
यह अधिनियम भारत का प्रमुख एंटी-एस्पियोनाज कानून है, जिसके अंतर्गत किसी व्यक्ति पर दुश्मन को उपयोगी जानकारी देने का आरोप लगने पर कार्रवाई की जाती है। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों के अनुसार पिछले 9 वर्षों में इस अधिनियम के तहत मामलों की संख्या में लगातार वृद्धि देखी गई है। विशेषज्ञों के अनुसार डिजिटल कम्युनिकेशन के बढ़ते प्रयोग, सीमा पार सुरक्षा तनाव, और संवेदनशील सूचनाओं के लीक होने की आशंका इन मामलों में वृद्धि के पीछे संभावित कारण हो सकते हैं। यह बढ़ती संख्या सुरक्षा एजेंसियों की सतर्कता को दर्शाती है, लेकिन साथ ही यह भी सवाल उठाती है कि क्या डिजिटल युग में गोपनीयता बनाए रखना और संवेदनशील सूचनाओं की रक्षा करना पहले से कहीं अधिक चुनौतीपूर्ण हो गया है।
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