संताल परगना ब्यूरो
दुमका । फांसी लगा कर आत्महत्या करने वाले पत्थर कारोबारी मधुरेन्द्र झा के पार्थिव शरीर का अंतिम संस्कार मंगलवार को विजयपुर मुक्तिधाम में किया गया।बेटा अक्कू ने मुखाग्नि दी।पत्थर कारोबारी मधुरेन्द्र झा ने सोमवार को दोपहर बाद करीब सवा तीन बजे अपने कमरे में फांसी लगा कर आत्महत्या कर लिया था।मरने से पहले पत्थर कारोबारी ने एक पेज का सुसाइड नोट छोड़ा है जिसमें उन्होंने आत्महत्या का कारण अति निजी बताया है। सुसाइड नोट में मधुरेन्द्र झा ने लिखा है कि कुछ अति निजी कारणवश, जिसका पता मैं नहीं चाहता कि समाज या मेरे परिवार को हो,अपनी जान दे रहा हूं।मेरी पत्नी और दोनों बच्चे मुझसे बहुत प्यार करते हैं,मैं भी उनसे उतना ही प्यार करता हूं।मुझे बहुत दुख हो रहा है कि मैं उन्हें बेसहारा कर बहुत दूर जा रहा हूं,परन्तु मेरे पास और कोई विकल्प नहीं है।मैं अपनी पत्नी और बच्चों से भरे दिल से क्षमा चाहता हूं।वैसे तो मैं क्षमा योग्य कार्य नहीं कर रहा हूं,लेकिन मैं विवश हूं।पत्थर कारोबारी ने सुसाइड नोट में लिखा है कि मैं स्वेच्छा से,पूरे होश हवास में सोच विचार कर अपनी जान देने का फैसला किया है।इसमें परिवार के किसी सदस्य या किसी अन्य व्यक्ति का कोई दोष नहीं है। उन्होंने यह भी लिखा है कि अक्कू बेटा मेरा क्रिया कर्म यहीं मुक्तिधाम में कर देना और कम से कम खर्च करना।
नो ड्यूज देने में मानवीय संवेदना दिखाने का अधिकारियों से अनुरोध……
पत्थर कारोबारी मधुरेन्द्र झा ने अपने सुसाइड नोट में खनन विभाग के विभागीय अधिकारियों से अनुरोध किया है कि लाइसेंस समाप्त करने और नो ड्यूज देने में मानवीय संवेदना को स्थान दें।सुसाइड नोट में पत्थर कारोबारी मधुरेन्द्र झा ने लिखा है कि विभागीय अधिकारियों से मेरी करबद्ध प्रार्थना है कि मेरे नाम से निर्गत लाइसेंस वगैरह को समाप्त करने एवं नो ड्यूज देने में मानवीय संवेदना को स्थान दें एवं मेरी पत्नी एवं बच्चों का भविष्य अंधकारमय न हो,इतनी कृपा करें।इसके लिए मैं और मेरा परिवार सदा आपके आभारी रहेंगे। मधुरेन्द्र झा ने सुसाइड नोट में लिखा है कि मैं अपने परिवार,दोस्तों पड़ोसियों और अधिकारियों से पुन: क्षमाप्रार्थी हूं कि यदि मेरे या मेरे परिवार के द्वारा भूतकाल में कोई गलती हो गई है तो क्षमा करें एवं उसकी सजा मेरे परिवार बच्चों को न दें और एक बेहतर जीवन जीने में उनकी मदद करें।