सरकार बाजार से पैसे उधार लेने 26 सिक्योरिटीज की करेगी नीलामी
नई दिल्ली । केंद्र सरकार भी खर्चे पूरे करने के लिए भारी कर्ज लेने जा रही है। सरकार की ओर से जारी बयान के मुताबिक वित्त वर्ष 2025-26 की पहली छमाही (अप्रैल-सितंबर) में दीर्घकालीन प्रतिभूतियों के जरिये 8 लाख करोड़ रुपए का कर्ज लेने की योजना है। यह राशि राजस्व की कमी को पूरा करने के लिए जुटाई जाएगी। 2025-26 के लिए बाजार से कुल 14.82 लाख करोड़ रुपए का कर्ज लेने का अनुमान है।
केंद्र सरकार को अगले वित्तवर्ष में खर्चे पूरे करने के लिए करीब 15 लाख करोड़ रुपए कर्ज लेने की जरूरत होगी। इसमें से लंबी और निश्चित परिपक्वता अवधि वाली प्रतिभूतियों के जरिये पहली छमाही में 8 लाख करोड़ रुपए यानी 54 फीसदी कर्ज लेने की योजना बनाई है। इसमें 10 हजार करोड़ रुपए के सरकारी ग्रीन बॉन्ड शामिल हैं।
वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट में अगले वित्तवर्ष 2025-26 में राजस्व की कमी को पूरा करने के लिए दीर्घकालीन प्रतिभूतियां जारी कर 14.82 लाख करोड़ रुपए कर्ज लेने का प्रस्ताव तैयार किया है। राजकोषीय घाटा सरकार के कुल राजस्व और कुल व्यय के बीच अंतर वित्तवर्ष 2025-26 में जीडीपी के 4.4 फीसदी पर रहने का अनुमान है, जबकि चालू वित्त वर्ष में इसके 4.8 फीसदी रहने की संभावना है। इस तरह राजकोषीय घाटा 2025-26 के लिए 15,68,936 करोड़ रुपए रहने का अनुमान है।
राजकोषीय घाटे की भरपाई के लिए दीर्घकालीन प्रतिभूतियों से शुद्ध बाजार कर्ज 11.54 लाख करोड़ रुपए रहने का अनुमान है। शेष राशि लघु बचत और अन्य स्रोतों से आने की उम्मीद है। वित्तमंत्री सीतारमण ने कहा था कि वित्त वर्ष 2025-26 में कर्ज के अलावा कुल प्राप्तियां और खर्च क्रमशः 34.96 लाख करोड़ रुपए और 50.65 लाख करोड़ रुपए रहने का अनुमान है। इसमें शुद्ध कर प्राप्तियां 28.37 लाख करोड़ रुपए रहने का अनुमान है।
आधिकारिक बयान के मुताबिक सरकार बाजार से कुल पैसे उधार लेने के लिए 26 सिक्योरिटीज की नीलामी करेगी। यह नीलामी हर सप्ताह की जाएगी और इसमें प्रत्येक नीलामी में करीब 25 हजार करोड़ रुपए से 36 हजार करोड़ रुपए की प्रतिभूतियां शामिल होंगी। बाजार उधारी 3, 5, 7, 10, 15, 30, 40 और 50 साल की अवधि की प्रतिभूतियों के जरिये जुटाई जाएगी। सरकार ने कहा है कि नीलामी अधिसूचनाओं में उल्लेख की गई प्रत्येक प्रतिभूति के मामले में ‘ग्रीन शू विकल्प’ यानी अतिरिक्त बोली आने पर दो हजार करोड़ रुपए तक की बोली को स्वीकार करने का अधिकार सुरक्षित रखा जाएगा। मेच्योरिटी के आधार पर इन सिक्योरिटीज की हिस्सेदारी अलग-अलग रखी गई है। इसमें हरित बॉन्ड सहित सिक्योरिटीज का हिस्सा 3 साल (5.3 फीसदी), 5 साल (11.3 फीसदी), 7 साल (8.2 फीसदी), 10 साल (26.2 फीसदी), 15 साल (14 फीसदी), 30 साल (10.5 फीसदी), 40 साल (14 फीसदी) और 50 साल (10.5 फीसदी) होगा।