नई दिल्ली । दुनिया की 800 अरब की आबादी के हिसाब से हर व्यक्ति पर करीब 104 रुपये का कर्ज है। आर्थिक सहयोग और विकास संगठन की रिपोर्ट के मुताबिक, बढ़ती ब्याज दरों के कारण कर्ज लेने वालों के लिए स्थिति मुश्किल हो रही है। सरकारों और कंपनियों को अब अपने निवेश को प्राथमिकता देनी होगी, ताकि उनका कर्ज प्रोडक्टिव साबित हो सके। रिपोर्ट के अनुसार, 2021 से 2024 के बीच ब्याज लागत का सकल घरेलू उत्पाद में हिस्सा 20 साल के सबसे निचले स्तर से अब तक के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया है।
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