कोलकाता । कलकत्ता हाईकोर्ट ने जादवपुर विश्वविद्यालय (जेयू) परिसर के आसपास राजनीतिक रैलियों पर लगाए गए प्रतिबंध को हटा लिया है। बुधवार को न्यायमूर्ति तीर्थंकर घोष की एकल पीठ ने अपने ही आठ मार्च के आदेश को रद्द करते हुए कहा कि अब इस मामले में आगे कोई दायित्व अदालत नहीं लेना चाहती।
हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि अब इस क्षेत्र में रैली करने के इच्छुक संगठनों और राजनीतिक दलों को संबंधित प्रशासनिक अधिकारियों से अनुमति लेनी होगी, जो इस पर निर्णय लेंगे।
इससे पहले, आठ मार्च को अदालत ने विश्वविद्यालय परिसर के पास 13 मार्च तक किसी भी राजनीतिक रैली पर अंतरिम प्रतिबंध लगाया था और पुलिस को निर्देश दिया था कि वह इस दौरान किसी भी दल को रैली की अनुमति न दे।
इस फैसले के बाद प्रदेश में सियासी हलचल तेज हो गई है। विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने पहले ही घोषणा की थी कि पश्चिम बंगाल माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की परीक्षा समाप्त होने के बाद भाजपा जादवपुर विश्वविद्यालय में जारी संकट को लेकर बड़ा आंदोलन शुरू करेगी। ऐसे में अगर पुलिस प्रशासन भाजपा को रैली की अनुमति देने से इनकार करता है, तो कानूनी लड़ाई का नया दौर शुरू हो सकता है।
गौरतलब है कि एक मार्च को जादवपुर विश्वविद्यालय परिसर में उस समय भारी हंगामा हो गया था, जब राज्य के शिक्षा मंत्री ब्रात्य बसु की कार को कथित तौर पर छात्रों ने रोक लिया। इसके बाद वहां धक्का-मुक्की हुई।
छात्रों की मांग थी कि विश्वविद्यालय में तत्काल छात्रसंघ चुनाव कराए जाएं। प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि जब मंत्री बसु विरोध के कारण विश्वविद्यालय छोड़ने लगे, तो उनकी गाड़ी ने जानबूझकर दो छात्रों को टक्कर मार दी, जिससे वे गंभीर रूप से घायल हो गए और उन्हें अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा।
इस हंगामे के बीच मंत्री ब्रात्य बसु को भी हल्की चोटें आईं और उनकी तबीयत बिगड़ गई। उन्हें सरकारी एसएसकेएम मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल ले जाया गया, जहां इलाज के बाद उन्हें छुट्टी दे दी गई।
हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद जादवपुर विश्वविद्यालय और उसके आसपास के इलाके में राजनीतिक गतिविधियां और तेज हो सकती हैं।