हमारी मेहनत का सबसे बड़ा परिणाम होना चाहिए गरीब बच्चों के भविष्य के लिए सफलता और सुधार हो
नई दिल्ली । वर्क लाइफ बैलेंस के महत्व पर चर्चा नवीनतम क्रांति की ओर बढ़ रही है। इस विवाद से उठी बहस में इंफोसिस के को-फाउंडर नारायण मूर्ति का बयान उकसाने वाला है। उन्होंने हलके से कहा कि हफ्ते में 70 घंटे काम करने की संज्ञाना बनाने की जरूरत नहीं है। मूर्ति ने कहा कि कोई भी किसी आदमी को लंबे घंटों तक काम करने के लिए नहीं कह सकता, लेकिन हर किसी को ‘इंट्रोस्पेक्ट’ करना चाहिए और इसकी जरूरत को समझना चाहिए। यह कहते हुए उन्होंने अपने 40 वर्षीय करियर का उदाहरण दिया जहां वे हर हफ्ते 70 घंटे से अधिक काम करते थे।
उनका कहना था कि इंट्रोस्पेक्ट करने से हर किसी को अपनी स्थिति को समझने में मदद मिल सकती है। अगर बात इस विवाद की मूल कहानी की तो नारायण मूर्ति ने गहराई से बताया कि महत्वपूर्ण नहीं है कि हम कितने घंटे काम करते हैं, बल्कि यह की हम कितने योगदान दे रहे हैं समाज में। उन्होंने स्पष्ट किया कि हमारी मेहनत का सबसे बड़ा परिणाम होना चाहिए गरीब बच्चों के भविष्य के लिए सफलता और सुधार हो। यहां एक बड़ा सवाल उठता है कि क्या हम अपने जीवन में एक सामंजस्यपूर्ण संतुलन को कैसे बनाए रख सकते हैं, जब एक उद्यमिता समाज सुधार के साथ आता है। नारायण मूर्ति के बयान से प्रेरित होकर, हमें इस विचार से गुजरना होगा कि हम कैसे अपने काम और जीवन के बीच संतुलन को बनाए रख सकते हैं।