नई दिल्ली । हंसों का जोड़ा यूं तो एक ऐसी कहावत है, जिसे सभी ने सुनी ही होगी, लेकिन इसके अर्थ और उपयोग से शायद कम ही लोग वाकिफ होंगे। आपने अक्सर सुना होगा कि प्यार में डूबे कपल को लोग दो हंसों का जोड़ा कहते हैं। लेकिन कभी सोचा है कि आखिर इस मुहावरे का मतलब क्या है और हंसों को ही प्रेम का प्रतीक क्यों माना जाता है?
दरअसल हंस बेहद शांत और प्यार भरे स्वभाव वाले पक्षी हैं। वे जीवनभर अपने साथी के साथ रहते हैं और उन्हें कभी अकेला नहीं छोड़ते। वैज्ञानिक अध्ययनों के मुताबिक, सामान्य परिस्थितियों में हंसों के जोड़े का अलग होना बेहद दुर्लभ होता है। यह उनकी गहरी वफादारी और समर्पण को दिखाता है। इसकारण जब किसी कपल के बीच गहरा प्यार और साथ निभाने की भावना दिखाती है, तब उनकी तुलना हंसों के जोड़े से की जाती है।
लोककथाओं और किस्सों में भी हंसों को प्रेम का प्रतीक माना गया है। यह परंपरा और धारणा इतनी मजबूत है कि बॉलीवुड में भी इस पर कई फिल्मों और गानों में दर्शाया गया है। दो हंसों का जोड़ा वाली कहावत ने लोगों के दिलों में खास जगह बना ली है।
दुनिया में हंसों की कई प्रजातियां मिलती हैं। आमतौर पर सफेद हंसों को देखा जाता है, लेकिन ऑस्ट्रेलिया में काले हंस भी पाए जाते हैं। ये भी अपने साथी के प्रति उतने ही वफादार और समर्पित होते हैं। यदि इनके अंडों या साथी को कोई नुकसान पहुंचाने की कोशिश करे, तब वे पूरी ताकत से उसका सामना करते हैं। हंस अपनी गहरी याददाश्त और सामूहिक भावना के लिए भी जाने जाते हैं। वे उड़ते समय वी आकार में उड़ान भरते हैं, जिसमें सबसे आगे उड़ने वाला हंस थकने पर अपनी जगह बदल लेता है। यह टीम वर्क का अद्भुत उदाहरण है, जो उनके सामाजिक और भावनात्मक जुड़ाव को दर्शाता है।
प्रेम का प्रतीक: हंसों की यह विशेषताएं उन्हें प्रेम और वफादारी का प्रतीक बनाती हैं। जब किसी कपल में भी ऐसा प्यार और समर्पण दिखता है, तब उन्हें दो हंसों का जोड़ा कहकर इस गहरे बंधन को सम्मानित किया जाता है।
WhatsApp Group जुड़ने के लिए क्लिक करें 👉
Join Now