विधानसभा का सत्र क्या बिना नेता प्रतिपक्ष के ही संपन्न होगा ?
चंदन मिश्र
झारखंड की छठी विधानसभा का गठन हो गया। सरकार का गठन हो गया। विधानसभा के चार दिनों का विशेष सत्र भी शुरू हो चुका है। सभी नवनिर्वाचित विधायकों ने विधानसभा की सदस्यता की शपथ भी ले ली है। मंगलवार को विधानसभा के नए स्पीकर का भी निर्विरोध चुनाव हो जायेगा। मुख्यमंत्री समेत सभी मंत्रियों का शपथ पहले ही संपन्न हो चुका है। लेकिन विधानसभा में विपक्ष की सबसे बड़ी पार्टी भाजपा ने अभी तक अपने विधायक दल के नेता का चुनाव नहीं किया है। आखिर भाजपा ऐसा करके क्या संदेश देना चाहती थी। विधानसभा का पहला सत्र क्या बिना नेता प्रतिपक्ष के ही संपन्न हो जाएगा। पिछली विधानसभा में चार साल और लगभग पांच महीने तक बिना नेता प्रतिपक्ष के ही सदन चला था। भाजपा विधायक दल के नेता के पद पर बाबूलाल मरांडी चुने गए थे। लेकिन विधानसभा अध्यक्ष रबिंद्र कुमार महतो ने अंतिम तक बाबूलाल मरांडी को नेता प्रतिपक्ष की मान्यता नहीं दी। उनके खिलाफ दल बदल का मामला चलता रहा। उसका फैसला भी नहीं आया। अंत में भाजपा ने विधायक अमर कुमार बाउरी को विधायक दल का नेता चुना। जिसे विधानसभा के अध्यक्ष ने नेता प्रतिपक्ष नियुक्त अधिसूचित किया। अमर कुमार बाउरी लगभग पांच छह महीने तक नेता प्रतिपक्ष के पद पर बने रहे। छठी विधानसभा के लिए भाजपा के विधायक दल का नेता कौन होगा, अभी तक इसकी आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है। रविवार को भाजपा मुख्यालय में विधायक दल की बैठक हुई, लेकिन इसमें विधायक दल का नेता नहीं चुना गया। विधानसभा सत्र में विधायकों की भूमिका क्या होगी, इसे लेकर बैठक हुई। इसकी अध्यक्षता बाबूलाल मरांडी ने की। जब तक केंद्रीय पर्यवेक्षक या नियुक्त प्रभारी झारखंड नहीं भेजे जाएंगे, तब तक विधायक दल के नेता का चुनाव नहीं होगा। माना जा रहा है कि भाजपा के वरिष्ठ विधायक और पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी को नेता प्रतिपक्ष बनाया जा सकता है। हालांकि इस पद के लिए भाजपा में और भी कई वरिष्ठ विधायक दावेदार हैं। इनमें सीपी सिंह, चम्पाई सोरेन प्रमुख रूप से शामिल हैं। लेकिन भाजपा के प्रदेश प्रभारी लक्ष्मीकांत वाजपेई ने पिछले दिनों जब विधानसभा चुनाव परिणाम की समीक्षा कर रहे थे, उसी दौरान उन्होंने कहा था कि फरवरी में झारखंड भाजपा को नया अध्यक्ष मिल जाएगा। जाहिर है कि बाबूलाल मरांडी अभी प्रदेश भाजपा अध्यक्ष के पद पर हैं और फरवरी में उन्हें पद छोडऩा पड़ेगा। अर्थात बाबूलाल मरांडी जब प्रदेश अध्यक्ष का पद छोड़ेंगे तब क्या उसके पहले उन्हें भाजपा विधायक दल का नेता नहीं बनाया जाएगा ? भाजपा के विधायक दल और एनडीए गठबंधन को सदन के अंदर और बाहर एक सशक्त और मजबूत नेतृत्व की जरूरत है। वरिष्ठ भाजपा नेता बाबूलाल मरांडी इस पद के लिए सबसे योग्य उम्मीदवार बताए जा रहे हैं। अब देखना दिलचस्प होगा कि भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व कब तक नए विधायक दल के नेता चुनने की तारीख मुकर्रर करता है। सामान्य सी दिखनेवाली इस प्रक्रिया को भाजपा के केंद्रीय नेता क्यों विलंब कर रहे हैं, यह समझ से परे है। इस सरल प्रक्रिया को बहुत जटिल बनाते जा रहे हैं । भाजपा विधायक दल का नेता ही एनडीए विधायक दल का भी नेता होगा। पूरे विपक्ष को साथ लेकर सदन चलाने में उनकी बड़ी भूमिका होगी। भाजपा नेतृत्व को इसमें और विलंब नहीं करना चाहिए। भाजपा और एनडीए विधायक दल नेता को ही विधानसभा अध्यक्ष नेता प्रतिपक्ष का दर्जा देंगे।