मॉस्को । रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने देश की परमाणु नीति में बदलाव किया है। इस बदलाव से पूरी दुनिया में दहशत का माहौल है। इन बदलावों ने वैश्विक सुरक्षा को लेकर नए सिरे से चिंताएं पैदा कर दी हैं, खास तौर से तब जब यूक्रेन का युद्ध बढ़ता जा रहा है। नए नियमों के अनुसार, किसी भी परमाणु ताकत की ओर से समर्थित देश अगर रूस पर हमला करता है तो इसे उनके देश पर संयुक्त हमला माना जाएगा। पुतिन की नई परमाणु नीति के मुताबिक रूस पर कोई भी बड़ा हवाई हमला परमाणु प्रतिक्रिया को जन्म दे सकता है। पुतिन ने परमाणु नीति में बदलाव रूस-यूक्रेन युद्ध के 1000वें दिन पर किया था। साथ ही बदलाव ऐसे समय में किया गया है जब अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडन ने यूक्रेन को अमेरिका की सप्लाई की हुई मिसाइलों के जरिए रूस में हमला करने की इजाजत दी है। मंगलवार को रूस ने यह भी दावा किया कि यूक्रेन ने छह अमेरिकी मिसाइलों से उसके ब्रांस्क क्षेत्र में हमला किया है। इस हमले के बाद अब रूस सीधे तौर पर नाटो और अमेरिका के समक्ष खड़ा हो गया है। नई परमाणु नीति के मुताबिक मॉस्को रूस या उसके सहयोगियों के खिलाफ परमाणु और सामूहिक विनाश के अन्य प्रकार के हथियारों के इस्तेमाल के जवाब में न्यूक्लियर हथियार चला सकता है। इसके अलावा उस स्थिति में भी परमाणु हथियार इस्तेमाल हो सकते हैं जहां रूस और बेलारूस के खिलाफ पारंपरिक हथियारों से होने वाले हमले में देश की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता को खतरा हो सकता है। रूस या उसके सहयोगियों के क्षेत्र को निशाना बनाकर बैलिस्टिक मिसाइलों को लॉन्च किए जाने की विश्वसनीय जानकारी मिलने पर न्यूक्लियर हथियार इस्तेमाल किया जा सकता है। परमाणु हथियार या सामूहिक विनाश के अन्य हथियार रूस उसके सहयोगियों या विदेशों में रूसी सैन्य इकाइयों पर हमले के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं। रणनीतिक और सामरिक विमानों, क्रूज मिसाइलों, ड्रोन, हाइपरसोनिक या अन्य उड़ान वाहनों के टेकऑफ या लॉन्च होने और उनके रूसी सीमा पार करने की जानकारी पर भी परमाणु हमला किया जा सकता है। रूस का नया परमाणु सिद्धांत यूक्रेन युद्ध में नई अनिश्चितताओं को पैदा करता है। हालांकि इस नए दस्तावेज के बावजूद बाइडन प्रशासन के अधिकारियों ने रूस के परमाणु रुख में तुरंत कोई बदलाव नहीं देखा है। विशेषज्ञ मानते हैं कि रूस यूक्रेन से युद्ध के बावजूद परमाणु हथियार इस्तेमाल नहीं करेगा।