जामताड़ा : कैबिनेट मंत्री की हैसियत से चुनाव लड़ रहे दो बार से यहां विजेता रहे कांग्रेस प्रत्याशी डॉक्टर इरफान अंसारी के लिए इस बार चुनौती कुछ ज्यादा ही संघर्षपूर्ण दिखाई दे रही है। हालांकि हर मुलाकात में वो मीडिया के समक्ष अपने जीत को लेकर काफी आस्वस्त दिखाने का प्रयास करते हैं पर अंदर से उन्हें कुछ घबराहट जरूर है। उनकी घबराहट का कारण निश्चित रूप से सोरेन परिवार की बड़ी बहू भाजपा प्रत्याशी सीता सोरेन ही हैं। डॉक्टर इरफान अंसारी ने प्रतिद्वंद्विता की गंभीरता को भले ही नकार दिया हो, पर जिस तरह गांव-गांव में उनका सघन दौरा और सैकड़ो कार्यकर्ताओं की टोली अलग-अलग मेहनत कर रही है, उससे उनकी घबराहट परिलक्षित होती है। सीता सोरेन के इस अनारक्षित सीट पर प्रत्याशी बनने के बाद से ही एक अलग तरह की रणनीति कार्य कर रही है, जिसमें एकजुटता भी है और कुछ करने का उत्साह भी। इसमें कोई दो राय नहीं है कि जामताड़ा विधानसभा सीट पर कांग्रेस और भाजपा का जबरदस्त रेस है। इन दोनों के रेस के बाद अगर कहीं सबसे ज्यादा तड़क-भड़क दिखाई दे रहा है तो वह है कैंची छाप से चुनाव लड़ रहे तरुण कुमार गुप्ता के यहां। कई वर्षों से आजसू नेता के रूप में अपनी पहचान बना चुके तरुण कुमार गुप्ता टिकट नहीं मिलने से नाराज होकर जयराम महतो की पार्टी में कैंची छाप से चुनाव लड़ रहे हैं। स्थानीय चुनावी पंडितों और बुद्धिजीवियों की माने तो जिस तरह की चुनावी आवो हवा अभी जामताड़ा विधानसभा में चल रही है उसमें तरुण गुप्ता जी 5 हजार के अंदर ही सिमटते नजर आ रहे हैं। नामांकन के दिन से ही सैकड़ो मुस्लिम कार्यकर्ता तरुण गुप्ता के संपर्क में है और चुनावी अभियान में शामिल भी हैं, पर विधानसभा के मुस्लिम मतदाताओं का इतिहास देखें तो उससे यही अंदाजा लगता है कि इस विधानसभा चुनाव में जितने भी मुस्लिम प्रत्याशी यहां खड़े हुए हैं वह सब मिलकर भी 5 हजार ला सकेंगे इसमें संशय बना हुआ है। हालांकि चुनाव प्रचार के मामले में तरुण गुप्ता किसी से पीछे नहीं हैं। शहर में सबसे पहले प्रचार गाड़ी इन्हीं के द्वारा निकाली गई। यह व्यापक प्रचार प्रसार वोट में कितना तब्दील होगा यह तो चुनाव परिणाम ही बताएगा।