-छापेमारी से माफियाओ में हडकंप
-शराब बनाने वालो की संख्या से लोगों के होश फाख्ता
पूर्वी चंपारण । एसपी स्वर्ण प्रभात के सख्ती और विशेष अभियान के बाद जिले के शराब माफियाओ में हडकंप व्याप्त है।एक ओर जहां रोज-रोज देशी-विदेशी शराब की खेप और शराब निर्माण की भठ्ठियां को ध्वस्त की जा रही है,अर्धनिर्मित पाश को विनिष्ट किया जा रहा है। वैसे में यह स्पष्ट दृष्टिगोचर हो रहा है,कि बिहार में शराबबंदी कितना सफल है?क्योकी इसका खुलासा तो शराब को लेकर लगातार हो रही गिरफ्तारी एवं जप्ती ही कर रही है।
हालांकि यह दीगर है, कि शराबबंदी की ढोल पिट रही सरकार एवं सरकार क नुमाईंदे सब जानकर भी कुछ मानने को तैयार नही है। फिलहाल इस जिले की बात की जाये तो सारण की घटना के बाद एसपी द्धारा शराब के खिलाफ चलाएं गये अभियान में जिस तरह से शराब की जप्ती एवं गिरफ्तारी की बाते सामने आ रही है, निश्चित तौर पर विचारणीय है।बिहार जैसे राज्य जिसकी सीमा यूपी व झारखंड राज्य के साथ नेपाल जैसे देश से जुड़ा है।जहां शराब फ्री है। वैसे में बिहार में शराब को पूरी तरह से बंद कर देना सूर्य को दीपक दिखाने के समान है। यह अलग है,कि इसको रोकने के लिए सरकार का पैसा और पुलिस की उर्जा बड़े पैमाने पर व्यय हो रहा है।एक ओर पुलिस अभियान चला रही है,वही दुसरी ओर शराब निर्माण व तस्करी के रोज नये नये मामले सामने आ रहे है।
एक सर्वेक्षण में यह सामने आया है,कि बिहार में विदेशी शराब की होम डिलेवरी बड़े पैमाने पर हो रही है।इसके साथ ही एक जाति समुदाय की महिलाएं तो खाना बनाने के पहले चुल्हे पर शराब बनाना ज्यादा श्रेयस्कर समझने लगी है।ग्रामीण क्षेत्रो में देशी शराब का निर्माण एक कुटीर उधोग का रूप ले लिया है।चूंकी सरकार के अभियान के बाबजूद शराब के ग्राहको की कमी नहीं है। अंग्रेजी नहीं तो उन्हे नशा के लिए देशी ही सही, लेकिन शराब चाहिए। बहरहाल एसपी इस जिले में शराब के खिलाफ व्यापक पैमाने पर अभियान चला रहे है।ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले दिनो में इसका परिणाम क्या होता है?