नई दिल्ली । हालिया अध्ययन में यह पाया गया है कि रात के समय भोजन करने से अवसाद और चिंता की समस्याएं बढ़ सकती हैं। बोस्टन के ब्रिघम एंड वुमनस हॉस्पिटल द्वारा किए गए इस अध्ययन में बताया गया है कि इंसान की जैविक घड़ी, जो हार्मोन संतुलन और शारीरिक प्रक्रियाओं को नियंत्रित करती है, रात के समय भोजन करने से प्रभावित होती है। शोधकर्ताओं ने 19 प्रतिभागियों को दो सप्ताह के लिए सिम्यूलेटेड रात्रिकालीन कार्य पर रखा। समूह के आधे प्रतिभागियों को दिन और रात दोनों समय भोजन दिया गया, जबकि दूसरे आधे को केवल दिन में ही भोजन प्रदान किया गया। परिणामस्वरूप, रात के समय भोजन करने वाले प्रतिभागियों में अवसाद के स्तर में 26% और चिंता में 16% की वृद्धि देखी गई, जबकि दिन में भोजन करने वालों में ऐसा कोई बदलाव नहीं हुआ।
अध्ययन के प्रमुख शोधकर्ता, न्यूरोसाइंटिस्ट सारा चेलेप्पा ने कहा, हमारा अध्ययन यह दर्शाता है कि नींद और जैविक घड़ी में सुधार करने वाली रणनीतियां मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बना सकती हैं। उन्होंने यह भी बताया कि रात में भोजन करने से मेटाबॉलिज्म में व्यवधान उत्पन्न होता है, जिससे मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। रात की पाली में काम करने वाले कर्मचारी, जैसे नर्स, सुरक्षा गार्ड और अग्निशमन कर्मचारी, कार्यबल का 30% हिस्सा बनाते हैं। इस अध्ययन के परिणाम इस समस्या का समाधान ढूंढने में सहायक हो सकते हैं। शोधकर्ताओं का मानना है कि रात के समय भोजन को छोड़ने से शिफ्ट कर्मचारियों की मानसिक स्वास्थ्य में सुधार संभव है।
अवसाद और मोटापे के बीच का संबंध भी इस अध्ययन का एक महत्वपूर्ण पहलू है। शोधकर्ताओं का कहना है कि दोनों स्थितियाँ अक्सर साथ-साथ होती हैं, जिससे स्थिति और भी गंभीर हो जाती है। इस प्रकार के परिणामों को ध्यान में रखते हुए, शोधकर्ता यह पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि क्या रात के भोजन को नजरअंदाज करने से नाइट शिफ्ट में काम करने वाले कर्मचारियों की सेहत में सुधार हो सकता है। यह अध्ययन मानसिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में एक नई दिशा में संकेत करता है और नाइट शिफ्ट काम करने वालों के लिए स्वस्थ जीवनशैली की संभावनाओं को खोलता है।