भारी वर्षा के बीच बांग्लादेशी घुसपैठ के खिलाफ छात्र सड़क पर, सरकार ने इन ज्वलंत मुद्दों पर साधी चुप्पी
राष्ट्रपति को संबोधित उपायुक्त को सौंपा आठ सूत्री मांग पत्र
झामुमो के पूर्व विधायक लोबिन हेम्ब्रम ने सरकार से की दोषी पुलिस अधिकारियों पर कठोर कार्रवाई की मांग
कहा: बांग्लादेशी घुसपैठियें आदिवासियों के हक- अधिकार पर कर रहा है कब्जा
दुमका ब्यूरो
दुमका। संताल परगना छात्र समन्वय समिति के बैनर तले शनिवार को एसपी कालेज के प्रांगण से छात्रों ने पिछले दिनों पाकुड़ के केकेएम कॉलेज के आदिवासी छात्रावास के छात्रों की पुलिस द्वारा बेरहमी से की गयी पिटाई विरोध में जन आक्रोश रैली निकाला। शहर के प्रमुख मार्गों पर प्रदर्शन करते हुए जन आक्रोश महारैली आयुक्त कार्यालय पहुंची। जहां रैली सभा में तब्दील हो गई। छात्र नेता श्याम देव हेम्ब्रम के नेतृत्व में आयोजित जन आक्रोश महारैली में छात्र नेताओं ने झारखंड के मुख्यमंत्री एवं पाकुड़ प्रशासन के खिलाफ आक्रोश जाहिर किया। इस जनआक्रोश रैली में बोरियो के पूर्व विधायक लोबिन हेंब्रम भी शामिल हुए। पारम्परिक हथियारों के साथ जनाक्रोश रैली में भारी तादाद में शामिल छात्रों ने के के एम कालेज के छात्रावास में रहने वाले आदिवासी छात्रों की कथित पिटाई के मामले में दोषी पुलिस अधिकारियों को चिन्हित कर उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग की। इस दौरान पूर्व विधायक लोबिन हेम्ब्रम ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि छात्रों को विवश होकर रैली निकालना पड़ा है। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार केकेएम कॉलेज पाकुड़ के छात्रावास में आधी रात को पुलिस ने घुसकर छात्रों की बेरहमी से पीटकर घायल कर दिया है। यह घटना निंदनीय है। इसलिए दोषी पुलिस अधिकारियों की पहचान कर उनके खिलाफ सरकार कार्रवाई किया जाना चाहिए । सभा में पूर्व विधायक लोबिन ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि आदिवासी छात्रों को प्रताड़ित किये जाने के इस गम्भीर मुद्दे पर राज्य के मुखिया हेमंत सोरेन चुप्पी साधे हुए है। इसलिए आज हम लोगों को विवश होकर जन आक्रोश महारैली निकालना पड़ा है। लोबिन हेंब्रम ने कहा कि पाकुड़ में बीते दिनों पुलिस ने छात्रों के साथ मारपीट किया है, लेकिन पर अब तक केस दर्ज नहीं किया जाना आश्चर्य है। इससे यहां के छात्रों में गहरा आक्रोश है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि बंग्लादेशी घुसपैठिए आदिवासियों के हक व अधिकार को छीन रहा है। जबकि सरकार के पास एक्ट रहते हुए भी उसपर कोई कार्रवाई नहीं कर रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य सरकार बंग्लादेशी घुसपैठ को वोट बैंक बनाकर अपने तरीके से इस्तेमाल कर रही है। इसलिए सरकार बंग्लादेशी घुसपैठ पर कोई कार्रवाई नहीं कर रही है। यदि सरजमीन पर जाकर देखें। तो सच में आदिवासियों की जमीन हड़प कर उन्हें लूट जा रहा है। केवल पाकुड़ में ही नहीं, बल्कि सभी जिलों में बंग्लादेशी घुसपैठ जारी है। इसलिए आज आदिवासी को जागरूक होकर अपने अधिकार के लिए लड़ाई लड़ने की आवश्यकता है। छात्र नेता श्यामदेव हेंब्रम ने कहा कि जिस तरह से पाकुड़ के केकेएम कॉलेज छात्रावास में पुलिस ने घुसकर छात्रों को बेहरमी से पीटा है। उसका हम लोग जितना भी कड़ी निंदा करें वह कम है। छात्र नेता राजीव बास्की ने कहा कि हम लोगों की मांग है कि उस घटना में शामिल सभी पदाधिकारियों को बर्खास्त किया जाए। छात्र नेता राजेंद्र मुर्मू ने कहा कि छात्रावास में घुसकर छात्रों के साथ मारपीट की यह घटना बहुत ही गंभीर मामला
है। इस दौरान समिति ने सभा के माध्यम से राष्ट्रपति के नाम उपायुक्त को आठ सूत्री मांग पत्र सौंपा।
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आदिवासी छात्रों के क्या है मुद्दे
मांग पत्र के माध्यम से बताया कि छात्रों के साथ मारपीट में 150 पुलिस वालों की पहचान कर अनुसूचित जाति-जनज अत्याचार अधिनियम के तहत केस दर्ज किया जाए। बंग्लादेशी व्यक्तियों को चिहिन्त कर नजरबंद करने की व्यवस्थ जाए। भारत के अन्य राज्य के मूल निवासियों द्वारा दानपत्र दिए गए जमीन में रहने वाले लोगों को चिन्हित कर कर किसी भी लाभ लेने से रोक लगाने की व्यवस्था किया जाए। आदिवासियों की घटती जनसंख्या पर रोक लगाने के लिए बाहर के मूल निवासी को अलग से गणना निर्धारित किया जाए सहित अन्य कई मांगे शामिल है। मौके पर छात्र नेता श्याम देव हेंब्रम, राजीव बास्की, राजेंद्र मुर्मू, ठाकुर हांसदा, केराप मुर्मू, विवेक हांसदा, मंगल सोरेन, मनोज टुडू, राज सोरेन, बाबूराम सोरेन, कोर्नेलियस किस्कू, विजय सिंह हांसदा, रवींद्र मरांडी, आशा सोरेन, नीलम मुर्मू, बिटिया टुडू, वीरेंद्र किस्कू आदि शामिल थे।