नई दिल्ली। दक्षिण एशियाई देशों में मुंह के कैंसर के सबसे अधिक मामले भारत में दर्ज किए जा रहे हैं। यह खुलासा हुआ है एक हालिया अध्ययन में। इसका प्रमुख कारण बिना धुएं वाले तंबाकू उत्पादों और सुपारी का बढ़ता उपयोग है।
2022 में विश्वभर में 1,20,200 ओरल कैंसर के मामलों में से 83,400 मामले अकेले भारत में पाए गए। यह आंकड़े दर्शाते हैं कि तंबाकू युक्त पान मसाला, गुटखा, खैनी और सुपारी के सेवन से मुंह का कैंसर तेजी से फैल रहा है। अध्ययन के अनुसार, महिलाओं में मुख कैंसर के 30प्रतिशत मामले सुपारी के सेवन से, जबकि 28 प्रतिशत मामले तंबाकू वाले पान मसाले से जुड़े पाए गए। वहीं, गुटखा और खैनी के कारण क्रमशः 21प्रतिशत और 21प्रतिशत मामले सामने आए।
पुरुषों में खैनी के सेवन से 47प्रतिशत और गुटखा के सेवन से 43प्रतिशत मामले दर्ज किए गए, इसके बाद तंबाकू वाले पान मसाले (33प्रतिशत) और सुपारी (32प्रतिशत) का नंबर आता है। विशेषज्ञों का कहना है कि बिना धुएं वाले तंबाकू और सुपारी के सेवन से स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ते हैं, जिनमें मुंह का कैंसर प्रमुख है। दुनियाभर में 1,20,200 से अधिक ओरल कैंसर के मामले ऐसे थे जो बिना धुएं वाले तंबाकू और सुपारी के सेवन से हो सकते थे।
विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि यदि इन हानिकारक उत्पादों के उपयोग पर नियंत्रण नहीं लगाया गया, तो स्वास्थ्य पर भारी बोझ पड़ेगा। अध्ययन में यह भी सामने आया कि दुनियाभर में कुल 3,89,800 ओरल कैंसर के मामलों में से लगभग 31प्रतिशत ऐसे थे जिन्हें बिना धुएं वाले तंबाकू और सुपारी के उपयोग से रोका जा सकता था। इन मामलों में 95प्रतिशत से अधिक केस कम और मध्यम आय वाले देशों में पाए गए। भारत के बाद बांग्लादेश (9,700 मामले), पाकिस्तान (8,900 मामले), और चीन (3,200 मामले) जैसे देशों का स्थान आता है। विशेषज्ञों ने इस बात पर जोर दिया कि धूम्रपान पर नियंत्रण में प्रगति हुई है, लेकिन बिना धुएं वाले तंबाकू और सुपारी के सेवन को रोकने में अभी भी चुनौतियां बनी हुई हैं।