नई दिल्ली । टमाटर, प्याज और आलू की ऊंची कीमतों ने घरेलू बजट बिगाड़ दिया है। खुदरा बाजार में जहां आलू 40 रुपए किलो मिल रहा है तो वहीं टमाटर की कीमत 100 रुपए किलो के पार पहुंच गई है। प्याज के भाव भी 60 रुपए किलो पर हैं। टमाटर, प्याज और आलू की वजह से महंगाई दर में भी इजाफा हुआ है। नीति निर्माताओं के लिए खाद्य पदार्थों की बढ़ाई महंगाई एक चुनौती रही है। उपभोक्ता मूल्य सूचकांक में खाद्य पदार्थों की हिस्सेदारी 45.9 फीसदी है। बता दें कि आपूर्ति संबंधी झटके समग्र खुदरा मुद्रास्फीति के आंकड़ों को प्रभावित करते हैं। हाल के महीनों में टमाटर, प्याज और आलू की कीमतों में काफी उछाल आया है।
खुदरा खाद्य और पेय पदार्थों में इनकी हिस्सेदारी 4.8 फीसदी और ओवरऑल सीपीआई में 2.2 फीसदी है लेकिन उनकी कीमतों में उतार-चढ़ाव खुदरा मुद्रास्फीति को प्रभावित करता है। इनकी कीमतें बढ़ने के कई कारण हैं। पहला मौसम, भंडारण की समस्याएं और तीसरा आपूर्ति संबंधी समस्याएं। कई बार मौमस की मार के कारण इनकी फसल प्रभावित होती है। इससे ये जल्दी खराब हो जाते हैं। वहीं दूसरी ओर कोल्ड स्टोर की कमी और दूसरे कारण से इनका भंडारण सही नहीं हो पाता। ऐसे में ये जल्दी खराब हो जाते हैं। वहीं फसल होने के बाद इनकी आपूर्ति को लेकर भी कई बार समस्याएं होती हैं। इन सब्जियों की सप्लाई चेन में गड़बड़ी भी कीमतों में उतार-चढ़ाव का एक महत्वपूर्ण कारक है।
अध्ययन में पता चला है कि जिस मौसम में इनकी पैदावार कम होती है, उस समय इनकी कीमत बढ़ जाती है। वहीं जिस मौसम में पैदावार ज्यादा होती है, उस समय कीमत कम होती है। कई बार किसानों को अपनी फसल फेंकनी भी पड़ जाती है क्योंकि इन्हें खरीदने वाला कोई नहीं होता। उतार-चढ़ाव वाली मांग-आपूर्ति के कारण भी कीमतों पर असर पड़ता है।