गर्मी से 2010 में रुस में भी हुई थी 56 हजार लोगों की मौत
नई दिल्ली । चेन्नई में भारतीय वायुसेना का एयर शो देखने के लिए उमड़ी भीड़ में से किसी को पता नहीं था कि अगले ही पल क्या होने वाला है। इस एयर शो में मरीन बीच पर 15 लाख लोग जमा हो गए। एयर शो खत्म होने के बाद वापस होते समय ज्यादा भीड़ में धक्का मुक्की से भगदड़ मची गई जिसमें पांच लोगों की जान चली गई और 90 से ज्यादा लोग घायल हो गए जिनका अस्पताल में इलाज चल रहा है। चेन्नई इस हादसे की वजह चिलचिलाती धूप और बेतहाशा गर्मी और हीट स्ट्रोक भी थी।
दुनिया में बेतहाशा गर्मी या हीट स्ट्रोक से मौतों का यह कोई पहला मामला नहीं है। भारत ही नहीं रूस के लिए साल 2010 काले इतिहास के रुप में दर्ज है। उस साल हीट वेव और गर्मी ने रूस में 56 हजार लोगों की जान ले ली थी। आंकड़ों के मुताबिक दुनिया के बाकी हिस्सों में भी हीट स्ट्रोक मौतों का कारण बनता है। रूस के आर्थिक विकास मंत्रालय ने बताया था कि साल 2010 में हीट वेव और भीषण गर्मी से 56 हजार लोगों की जान गई थी। उस साल जुलाई में रूस में 14500 और अगस्त में 41300 लोगों की मौत हुई थी। रूस में तब 44 दिनों तक हीटवेव चली थी। इससे लोगों को पाचन तंत्र और कैंसर से भी जूझना पड़ा था।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की वेबसाइट पर 2000 से 2019 के बीच की एक स्टडी में पाया गया कि गर्मी से हर साल दुनिया भर में 48900 मौतें होती हैं। हैरानी की बात यह है कि इनमें से 45 फीसदी मौतें केवल एशिया में होती हैं। दूसरे स्थान पर यूरोप है जहां 36 फीसदी लोगों की मौत होती है। दो साल पहले 2022 में यूरोप में अकेले 61672 लोगों की मौत भीषण गर्मी से हुई थी।
चेन्नई में रविवार दोपहर वायुसेना का एयर शो था। दोपहर 1 बजे से 3 बजे तक एयर शो हुआ। इस शो को देखने करीब 15 लाख लोग पहुंचे थे। एयर शो को देखने का यह एक नया रिकॉर्ड बन गया। सबकुछ ठीक था लेकिन जैसे ही एयर शो खत्म हुआ तो चिलचिलाती धूप और गर्मी से परेशान लोग जल्दी घर जाने के चक्कर में भगदड़ मच गई और इस भगदड़ में 5 लोगों की जान चली गई और 90 के ज्यादा लोग घायल हुए जिनका अस्पताल में इलाज चल रहा है।