केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान के वैज्ञानिकों ने किया तैयार
लखनऊ । उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के रहमान खेड़ा में स्थित केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान (सीआईएसएच) जल्द ही आम की दो नई किस्में पेश करने को तैयार है, जिससे भारत के विविध आमों की सूची में विस्तार होगा। केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान ने अवध समृद्धि और अवध मधुरिमा नाम की किस्में तैयार की हैं। ये नई किस्में भारतीय आमों की विविधता को और समृद्ध करेंगी।
बता दें कि आम की दोनों किस्मों, अवध समृद्धि और अवध मधुरिमा का फील्ड ट्रायल चल रहा है और इन्हें जल्द ही लांच किया जाएगा। सीआईएसएच के निदेशक डॉ.टी. दामोदरन के अनुसार, अवध समृद्धि एक जलवायु-प्रतिरोधी संकर किस्म है, जो नियमित रूप से फल देती है। इसका चमकीला रंग इसके आकर्षण को बढ़ाता है और प्रत्येक फल का वजन करीब 300 ग्राम होता है। मध्यम आकार का यह पेड़ गहन बागवानी के लिए उपयुक्त है, जो 15 साल बाद 15 से 20 फीट तक बढ़ जाता है, जिससे इसे संभालना आसान हो जाता है। इसके पकने का मौसम जुलाई और अगस्त के बीच होता है। वर्तमान में फील्ड ट्रायल के दौर से गुजर रही अवध समृद्धि किस्म के जल्द ही रिलीज होगी।
आम की दूसरी किस्म अवध मधुरिमा का भी क्षेत्रीय परीक्षण हो रहा है। राज्य में इस लागू होने में थोड़ा समय लग सकता है। उत्तर प्रदेश को इन नई किस्मों से सबसे अधिक फायदा होगा, क्योंकि ये राज्य भारत का सबसे बड़ा आम उत्पादक है। अपने आकर्षक रंग, औसत आकार और लंबी शेल्फ लाइफ के कारण इन किस्मों में निर्यात की काफी संभावनाएं हैं। खास तौर पर यूरोप और संयुक्त राज्य अमेरिका के बाजारों में, जहां रंगीन आमों को काफी पसंद किया जाता है।
इसके अलावा स्थानीय बाजारों में भी इन नई किस्मों के आम की अधिक कीमत मिलने की संभावना है। इससे पहले सीआईएसएच ने अंबिका और अरुणिका आम की किस्में विकसित की थीं। बता दें कि हाल के वर्षों में सीआईएसएच द्वारा विकसित आम की सभी चार किस्में अपने चमकीले रंगों के कारण अलग पहचान रखती हैं। अंबिका किस्म अपनी लगातार फल देने वाली, उच्च उपज और देर से पकने वाली किस्म के लिए पहचानी जाती है। इसके पीले फल की त्वचा पर एक आकर्षक गहरा लाल रंग होता है। जबकि गूदा गहरा पीला, दृढ़, कम रेशेदार और उत्कृष्ट गुणवत्ता वाला होता है। इसकी शेल्फ लाइफ बहुत अच्छी होती है, प्रत्येक फल का वजन 350 से 400 ग्राम के बीच होता है। रोपण के 10 साल बाद, प्रत्येक पेड़ लगभग 80 किलोग्राम फल पैदा कर सकता है।
अंबिका आम की किस्म भारी वर्षा वाले क्षेत्रों को छोड़कर उपोष्णकटिबंधीय और उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में पनप सकती है। यह उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, गुजरात, महाराष्ट्र और तमिलनाडु में खेती के लिए उपयुक्त है। इस तरह अरुणिका किस्म अपने नियमित फल और देर से पकने के लिए जानी जाती है। इस किस्म के फलों में आकर्षक लाल रंग की लाली के साथ चिकनी, नारंगी-पीली त्वचा होती है और यह अपने उत्कृष्ट स्वाद और गुणवत्ता के लिए जानी जाती है। अच्छी भंडारण क्षमता के साथ प्रत्येक फल का वजन 190 से 210 ग्राम के बीच होता है। पेड़ आकार में बौना होता है और इसकी छतरी घनी होती है, जो बागवानी के लिए आदर्श किस्म बनाती है। 10 साल बाद इसके प्रत्येक पेड़ में लगभग 70 किलोग्राम फल लगते हैं। अरुणिका किस्म के आम उपोष्णकटिबंधीय और उष्णकटिबंधीय जलवायु में के क्षेत्रों के लिए उपयुक्त किस्म है।