कोलकाता । दक्षिण बंगाल के कई जिले बाढ़ की चपेट में हैं। दामोदर वैली कॉरपोरेशन (डीवीसी) द्वारा जल छोड़ने के कारण राज्य और केंद्र सरकार के बीच विवाद छिड़ गया है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का दावा है कि डीवीसी ने बिना जानकारी दिए बड़ी मात्रा में पानी छोड़ दिया, जिसके कारण बंगाल में बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो गई। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दो पत्र भेजे, जिसमें उन्होंने इस मुद्दे को उठाया। हालांकि पश्चिम बंगाल सरकार का एक पत्र अब सामने आया है जिससे इस बात का पता चलता है कि राज्य सरकार को पूरी जानकारी दी गई थी और सरकार ने भी इसे लेकर जिला प्रशासन को सतर्क किया था। केंद्रीय जलशक्ति मंत्रालय का कहना है कि डीवीसी द्वारा जल छोड़ने का निर्णय एक समिति द्वारा लिया जाता है, जिसमें राज्य के प्रतिनिधि भी शामिल होते हैं। इस समिति में पश्चिम बंगाल सरकार के साथ झारखंड सरकार और सेंट्रल वाटर कमीशन (सीडब्ल्यूसी) के प्रतिनिधि भी होते हैं।
डीवीसी का कहना है कि जल छोड़ने की जानकारी पहले से ही सबको दी गई थी, लेकिन राज्य सरकार इस दावे को खारिज करती है। हालांकि, राज्य के आपदा प्रबंधन विभाग के एक मेमो के अनुसार, राज्य पहले से ही इस बात से अवगत था कि जल छोड़ा जाएगा। मुख्यमंत्री ने 20 सितंबर को प्रधानमंत्री को पहला पत्र लिखा था, जबकि इससे तीन दिन पहले, 17 सितंबर को नबान्न ने हावड़ा, हुगली, पूर्व और पश्चिम मेदिनीपुर, पूर्व और पश्चिम बर्धमान, बांकुरा और पुरुलिया के जिला अधिकारियों को सतर्क कर दिया था।
इस मेमो में कहा गया था कि डीवीसी 17 सितंबर से करीब ढाई लाख क्यूसेक पानी छोड़ेगा, जिसके कारण बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। इसके लिए प्रशासन को सभी आवश्यक तैयारियाँ करने को कहा गया था। साथ ही, कंसाबती बांध से भी पानी छोड़े जाने की संभावना थी, जिससे पूर्व मेदिनीपुर में बाढ़ की स्थिति बन सकती थी।
राज्य के आपदा प्रबंधन मंत्री जावेद खान ने कहा कि डीवीसी ने राज्य को बताया या नहीं, मैं यह नहीं जानता। लेकिन हम किसी भी सतर्कता की स्थिति में तैयारी करते हैं। मई से ही हमारे विभाग में बाढ़ की तैयारी शुरू हो जाती है।
डीवीसी के एक अधिकारी ने बताया कि जब आवश्यक होता है, तो पानी छोड़ना पड़ता है। यह निर्णय समिति द्वारा लिया जाता है। उन्होंने यह भी दावा किया कि कंसाबती के मुकुटमणि बांध से पानी छोड़े जाने के कारण घाटाल क्षेत्र बाढ़ग्रस्त हुआ।
भाजपा के प्रदेश सचिव जगन्नाथ चटर्जी ने कहा है कि मुख्यमंत्री ने इसे मानव निर्मित बाढ़ कहा, जबकि हम इसे ‘उमेन मेड’ बाढ़ कह रहे हैं। राज्य के जलाशयों से समय पर पानी छोड़ा नहीं गया, जिससे यह स्थिति उत्पन्न हुई।
इस बीच, ममता बनर्जी दावा करती रही हैं कि पश्चिम बंगाल सरकार की सहमति के बगैर पानी छोड़ा गया जबकि राज्य सरकार का पत्र कुछ और ही बयां कर रहा है।