नई दिल्ली । भारतीय रेलवे ने 176 किलोमीटर नई रेल लाइन बिछाने का फैसला किया है, जिससे पर्यावरण और अर्थव्यवस्था को बड़ा फायदा होगा। इस कदम से हर साल 20 करोड़ लीटर तेल की खपत कम होगी और 99 करोड़ किलोग्राम कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन घटेगा। यह 4 करोड़ पेड़ लगाने जितना असरदार है। भारतीय रेलवे मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में ऐसी जगह लाइन बिछाने जा रहा है, जिससे न सिर्फ वहां के लोगों को फायदा होगा बल्कि सालना करोड़ों लीटर तेल की बचत होगी। इसके साथ ही पर्यावरण भी संरक्षित करने में मदद करेगा। यह लाइन अगले पांच सालों में बनकर तैयार हो जाएगी और लोग इससे सफर कर सकेंगे।
यह रेल लाइन महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में बिछाई जाएगी और अगले पांच साल में काम पूरा हो जाएगा। यानी 2030 तक पूरी हो जाएगी। इससे माल ढुलाई और यात्रियों की आवाजाही आसान होगी, साथ ही सामान पहुंचाने की लागत भी कम होगी।यहां पर दो लाइनें बिछेंगी, पहली रतलाम-नागदा के बीच तीसरी और चौथी रेल लाइन और दूसरी वर्धा-बल्हारशाह के बीच चौथी रेल लाइन। इन परियोजनाओं की लागत करीब 3,399 करोड़ रुपये होगी। ये परियोजनाएं पीएम-गति शक्ति योजना का हिस्सा हैं, जो देश में यातायात और माल ढुलाई को बेहतर बनाने के लिए बनाई गई है। ये लाइनें 784 गांवों को जोड़ेंगी, जहां करीब 19.74 लाख लोग रहते हैं।
ये रेल लाइनें कोयला, सीमेंट, कृषि उत्पाद, पेट्रोलियम और कंटेनर जैसे सामानों की ढुलाई के लिए महत्वपूर्ण हैं। इनसे हर साल 18.40 मिलियन टन अतिरिक्त माल ढुलाई हो सकेगी। रेलवे पर्यावरण के लिए बेहतर और ऊर्जा बचाने वाला साधन है। यह तेल आयात और कार्बन उत्सर्जन कम करने में मदद करेगा, जिससे पर्यावरण को लाभ होगा। साथ ही, इन परियोजनाओं से 74 लाख मानव-दिवसों के रोजगार के अवसर मिलेंगे। ये रेल लाइनें यात्रियों के लिए यात्रा को आसान और तेज बनाएंगी। माल ढुलाई की लागत कम होने से सामान सस्ता और तेजी से पहुंचेगा, जिससे व्यापार और अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा। ये परियोजनाएं रेलवे की भीड़ कम करेंगी और ट्रेनों की समयबद्धता में सुधार करेंगी।