खूंटी । जिले में वर्ष 2024 में हुई सड़क दुर्घटनाओं के आंकड़ों ने एक ओर जहां प्रशासन की चिंता बढ़ा दी है, वहीं समाज के लिए भी ये आंकड़े डरावने लगने लगे है। बीते वर्ष खूंटी जिले में 123 लोगों ने वाहन दुर्घटना में जान गंवाई है। जिले में जितनी मौतें हार्ट अटैक या अन्य घातक बीमारियों से नहीं होती, उससे कहीं अधिक मौतें सड़क हादसों में हो रही है।
सड़क दुर्घटनाओं को रोकने के लिए जिला स्तर पर सड़क सुरक्षा समिति का गठन भी किया गया है। हर बार बैठक में सड़क हादसों को रोकने के उपायों पर चर्चा होती है और कुछ कार्य भी किये जाते हैं लेकिन हादसों का आंकड़ा घटने का नाम नहीं ले रहा है।
नशा पान और बिला हेलमेट चलना सबसे बड़ा कारण
खूंटी जिले में सड़क हादसों में मरने वालों में सबसे अधिक संख्या दो पहिया वाहन सवारों की है। समाज के अधिकतर लोगों का मानना है कि शराब का सेवन कर और बिना हेलमेट के दो पहिया वाहन और बिना सीट बेल्ट के चार पहिया वाहन चलाना हादसों में मौत का सबसे बड़ा कारण है। लोग अधिकतर शराब पीकर वाहन चलाते हैं और नियंत्रण खो देते हैं। इसको लेकर पुलिस समय-समय पर अभियान भी चलाती है। पुलिस बेथ एनालाइजर से वाहन चालकों की जांच करती है और शराब पीकर वाहन चलाते पकड़े जाने पर कार्रवाई भी की जाती है लेकिन इसका कोई खास प्रभाव दिखता नहीं है।
इसके अलावा सड़कों पर बने बड़े-बड़े गड्ढे भी सड़क हादसों का दावत देते हैं। अचानक ब्रेक लगाने के चक्कर में वाहन अनियंत्रित हो जाता है। साथ ही आधे-अधूरे सड़क निर्माण, यातायात नियमों का उल्लंघन, गलत पार्किंग, सार्वजनिक सुरक्षा के लिए चिंता का विषय बनते जा रहे हैं। तोरपा के रहने वाले सेवानिवृत्त शिकक्षक पंचम साहू कहते हैं कि सड़क हादसों का सबसे बड़ा कारण शराब, गांजा और भांग जैसे नशीले पदार्थों का सेवन कर वाहन चलाना है। उन्होंने कहा कि इस तरह की शिकायतें अक्सर युवाओं में है। उन्होंने कहा कि अभिभावकों को भी इस ओर ध्यान देना चाहिए। भाजपा नेता संतोष जायसवाल ने कहा कि नशापान कर और बिना हेलमेट के वाहन चलाने वालों पर पुलिस कड़ाई करे, तो हादसों में काफी कमी आ सकती है।
53 लोगों ने की खुदकुशी
जिले में खुदकुशी के आंकड़े भी डराने लगे हैं। बीते वर्ष जिले में 53 लोगों ने आत्महत्या कर ली। इनमें सबसे अधिक संख्या युवाओं की है। सामाजिक कार्यकर्ता काशीनाथ महतो कहते हैं कि खूंटी जिले में एक वर्ष में 53 लोगों की आत्महत्या के आंकड़े चिंताजनक हैं। उन्होंने कहा कि खुदकुशी के पीछे कई जटिल कारण हैं। इनमें मानसिक स्वास्थ्य, शेक्षणिक दबाव, सामाजिक-आर्थिक समस्याएं, नशापान और घरेलू हिंसा आदि प्रमुख हैं। परीक्षा में सफलता का अधिक दबाव छात्र-छात्राओं को आत्महत्या की प्रवृत्ति को ढकेलता है।
खूंटी के सिविल सर्जन डॉ नागेश्वर मांझी कहते हैं कि गरीबी, बेरोजगारी, सामाजिक भेदभाव, पारिवारिक तनाव और परीक्षा का दबाव के अलावा युवाओं के बीच इंटरनेट के उपोग में हो रही उल्लेखनीय वृद्धि भी खुदकुशी के कारण बन रहे हैं।
हाथियों ने ली छह की जान
खूंटी जिले में जंगली हााथियों का आतंक कोई नई बात नहीं है। पिछले चार-पांच दशकों से जिले के कर्रा, तोरपा, रनिया, मुरहू आदि प्रखंड में गजराजों के आतंक जारी है। बीते वर्ष हाथियों ने छह लोगों को कुचलकर मार डाला।
डूबने से 41 मौतें
जिले में कुआं, तालाब, डोभा और नदी आदि में डूबने से पिछले वर्ष 41 लोगों की जान चली गई।